ॐ...'पिताश्री'शिवबाबा याद है?13-03-2022प्रजापिता ब्रह्माबाबा की वाणी
विश्वसेवा दिवस पर बाबा की बच्चों से मुलाक़ात

ॐ शांती! वाह कैसे हो? कैसा लग रहा है? खुशी मिल रही है ?
अच्छा सभी "ॐ" करो।
(सभी बच्चों ने संगठित रूप से "ॐ" का उच्चारण किया )
वाह एकदम बढ़िया।

आप बच्चों ने आदि का पार्ट रिपीट कर दिया ना। वाह कितनी बढ़िया झोपड़ी बनाई है। (बाबा "ॐ" भी लिखा है) हाँ देख रहे हैं, ये कुछ बैठने का भी बनाया है। सही में ऐसे बनाया, दिमाग देखो बाबा ने...!! , बड़े महल को देखकर के खुशी नहीं होगी इसको देख कर के बड़ी खुशी हो रही है। आजकल भले कितना भी बड़ा महल बनावे उसको देखकर के इतनी प्रसन्नता नहीं होती,इतनी खुशी नहीं होती जितनी खुशी आपके इस महल को देखके हो रही है। ये क्या है? ये महल है। कितनी खुशी मिलती है ना कितना अच्छा लगता है आदि का पार्ट रिपीट कर दिया। क्या मैचिंग हो रही है ना "आदि सो अंत"!! "आदि सो अंत" की मैचिंग कितनी बढ़िया हो रही है!! ऐसे बच्चे बैठते थे। बस स्थान चेंज हुआ है। इसमें सिर्फ एक ही चीज का चेंजेस आता है शरीर का और स्थान का। ना आत्मा का चेंज आता है ना संस्कारों का। मतलब ऐसा नहीं है कि वो संस्कार खत्म हो गए भले इस जन्म के भी संस्कार है तो वो तो आत्मा में ही रहते हैं ना। चेंज का मतलब क्या होता है कि वो मिटके दूसरे बन जाए। इसका मतलब होता है "बदलाव", मतलब वो तो रहते ही है, हाँ योग की पावर से हम बुरे संस्कारों को खत्म कर सकते हैं क्योंकि वो अपने संस्कार नहीं होते। वो पराई दुनिया के, रावण के संस्कार होते हैं। पर जो अपने ओरिजिनल होते हैं वो खत्म नहीं होते वो छुप जाते हैं, दब जाते हैं, मर्ज हो जाते हैं, पर वो नष्ट नहीं होते। पर जो रावण के संस्कार होते हैं कलयुग में वो इमर्ज भले होते हैं पर वो नष्ट भी होते हैं।

बाबा एक दिली इच्छा है कि एक बार सूक्ष्मवतन हमें भी दिखा दो?

ये दिली इच्छा तो सबकी है पर ये दिली इच्छा अभी पूरी नहीं होगी ठीक है। हर एक सीन का समय होता है इसलिए क्या करना है लगाव किससे रखना है? किसी भी स्थान से नहीं पर सिर्फ बाबा से बुद्धि योग रखना है। ऐसी अवस्था होनी चाहिए बाबा कहे "चलो बच्चे" और बच्चे कहे "जी बाबा" ऐसी अवस्था।

अगर देह में भी मोह हुआ तो भी दिक्कत करेगा। जैसे इस शरीर में भी जो वस्त्र पहनते हैं अगर वो फिट हुआ, टाइट हुआ तो निकालने में कितनी मेहनत लगती है। अगर वो ढीला ढाला हुआ तो निकल जाएँगा। तो ऐसे ही आत्मा समझो और ये वस्त्र है। आने-जाने का अभ्यास करो। एकदम ढीला हो वस्त्र हमारा और ढीले ढाले में सुकून मिलता है ना टाइट में तो साँस लेने में दिक्कत हो जाएगी।ऐसा होता है ना? जितना टाइट कपड़ा उतना ज्यादा देह अभिमान चाहे वो शरीर का हो चाहे वो आत्मा का हो। सोच लेना जितनी ज्यादा फिटिंग रहेगी कपड़े की उतना ज्यादा देह अभिमान आएगा। समझ में आया इस शरीर पे भी वस्त्र डीला जब इधर का अभ्यास होगा तब इधर का हो जायेंगा समझ में आया ना। क्योंकि हम क्या बोलते हैं - "अच्छा दिखते नहीं है जब तक फिटिंग नहीं आती"! वो फिटिंग फिर शरीर में ही फिट कर देती है, बाहर नहीं आने देते। तो इसलिए क्या करना है? ढीला ओके वेरी गुड।

अच्छा आप बच्चों ने सेवा बड़ी अच्छी की जो सेवा दिवस बनाया है ये 13 मार्च "विश्वसेवा दिवस" अभी एकदम ऊपर उठ जाएगा देखना हाई लेवल पर जाएगा एक दो वर्ष में। शुरुआत इतनी अच्छी है तो आगे आगे कितना बढ़िया होगा ठीक है। आप सबकी गिफ्ट से बाबा प्रसन्न हुआ। सबने बड़ी बढ़िया गिफ्ट दी है। इसलिए सोचो अपने बाबा की इतनी पावर है ना आप दो मिनट भी कोई भी बैठेगा अच्छे से तो अच्छे अच्छे विचार आएंगे। देखा दुनिया में घूमने का क्या फायदा हुआ, समाज से जुड़ने का क्या फायदा हुआ। लोगों की भावनाएँ देखी कुछ सीखा, कुछ सिखाया, कुछ ठोकर खाई, कुछ आगे बढ़ाया, है ना। ओके..।

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