"मीठे बच्चे.... मैं इस शरीर में आया हूँ आपको अगला सिग्नल बताने के लिए कि अब क्या घटना घटने वाली है, आगे की स्थिति कैसे बिगड़ने वाली है। आज से परिवर्तन करोगे तो उस पीड़ा से भी बचोगे, नहीं तो वो सीन देखकर आ रहा हूँ कि क्या हाल होने वाला है।"
"ॐ"... वाह! सभी कैसे है? अच्छे हैं? ऊपर वाले- आप सब हम से पहले कैसे ऊपर पहुँच गए ? साथ चलेंगे ना। कोई बात नहीं। अभी सूक्ष्म वतन में पहुँचे हैं। अच्छा बच्चों सभी खुश हो? वाह क्या कमाल कर दिया! सभी बच्चे आए हैं! वाह बहुत अच्छा! कमाल है बाबा की बाबा ने हमें कैसा बनाया है! आज तो मेला लगा है। हैना। कौनसा मेला लगा है? यह जो मिलते हैं यह कौन सा मेला होता है? दुनिया में एक मेला लगता है जिसमें स्थूल सामान, वस्तु, ड्रेस, ज्वेलरी, गहने, यह सब मिलता हैं। पर यहाँ कौनसा मेला लगा है? यहाँ आत्मा का परमात्मा के साथ मेला लगा है। यहाँ पर ज्ञान रत्नो का खजाना मिलता है वो मेला लगा है। तो इस मेले में फायदा है? उस मेले में जेब खाली हो जाती है, जब उस मेले में जाते हैं तो क्या होता है? सबकी पॉकेट खाली! लेकिन इस मेले में आपके कर्मों की पॉकेट फुल हो जाती है, भर जाती है। भरती भी कैसे हैं? जब आप बच्चे बाबा की शिक्षाओं को जीवन में धारण करते हैं, जरूर यहाँ हर कोई एक शिक्षा जरूर लेकर जाएगा। ठीक है। लेकिन शिक्षा लेकर के जाते हैं तो उसके अपने जीवन में उसको महत्व भी देना होता है। ठीक है।
अच्छा अभी बैठकर 5 मिनट "ॐ" करो ठीक है। आंखें बंद करनी चाहिए, और पूरी तरह से साइलेंट। बच्चे भी बैठकर "ॐ" करें। जो खड़े हैं वो बैठ जाएं। अगर जगह नहीं है तो भले खड़े रहे, अगर जगह मिले तो बैठ जाएं। चलिए शुरू करना है। आज बस यह सोचना है कि मेरा परमपिता मेरे साथ है, और मेरे सिर पर उसका हाथ है, और यह हाथ मैं सदा काल के लिए फिक्स कर रहा हूँ इसलिए मैं "ॐ" कर रहा हूँ,ठीक है शुरू करे। (सभी बच्चों ने मिलकर "ॐ" का उच्चारण किया)
"ॐ"....वाह बहुत अच्छा। यह जो ध्वनि है यह आपके चारों तरफ का वायुमंडल एकदम पावरफुल बनाएगी। जैसे शंख बजाते हैं, उसकी ध्वनि में कितनी पावर होती है। जैसे घंटी बजाते हैं तो यह जो "ॐ" की ध्वनि है यह एक ध्वनि है जो आपकी दूर तक वार करती है, जो सीधा ऊपर तक जाती है। और आपको हम एक और चीज बतावे जो शुरुआत करेंगे आज से, उन बच्चों को "ॐ" की ध्वनि करने में, थोड़ा सा बैठने में प्रॉब्लम भी हो सकती है। बैठेंगे मन करेगा उठ जाते हैं, नहीं करेंगे, उबासी आएगी। अगर उबासी आई है तो सोचना अभी आपकी ऊर्जा नेगेटिव है, पावरफुल ऊर्जा नहीं है- तो आपको "ॐ" करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। आपको बैठकर करना ही है, अपने साथ हठ करना है। अपने साथ कभी-कभी हठ भी करना होता है ना। तो "ॐ" का उच्चारण आपकी जिंदगी बदल देगा, आपके स्वास्थ्य को ठीक रखेगा, आपके शरीर को ठीक रखेगा, आपके मन को ठीक रखेगा, सबसे बड़ी बात होने वाले पाप कर्मों से बचाएगा, यह याद रखना। जब हमें पता ही नहीं चलता कि हम क्या गलत कर रहे हैं, उसकी समझ मिलेगी।
अच्छा सभी खुश है? अभी खुश है पर घर जाकर सभी खुश रहते हैं? जिन्होंने हाँ नहीं बोला जरूर दुखी ही रहते हैं। हैना। जिंदगी का एक स्लोगन याद रखो बस। क्या? खुश रहना है। और यह खुशी भी कैसे मिलेगी? जैसे अभी बत्ती की रोशनी है, लाइट जलती है तो रोशनी आती है, लेकिन लाइट का कनेक्शन कहाँ लगा हुआ है? लाइट का कनेक्शन लगा हुआ है तभी तो लाइट जलेगी। कनेक्शन ही टूटा हुआ होगा तो लाइट कैसे जलेगी। खुशी कब रहेगी? खुशी की लाइट कब रहेगी? जब आपका कनेक्शन वहाँ जुड़ा होगा जहाँ उसका फिक्स पावर प्लग है। और वो है खुशियों का सागर, परमपिता परमात्मा शिव। अगर आपका कनेक्शन पावर हाउस से लगा हुआ है, तो खुशी की लाइट आपे ही आएगी, शांति की लाइट अपने आप ही आएगी, सुख की वाइब्रेशन अपने आप ही आएगी। अगर कनेक्शन ठीक नहीं है तो कुछ भी करते रहे, अगर कनेक्शन बराबर जगह पर नहीं लगा है तो कुछ भी करते रहे। बच्चे एक बात कहें- मेजोरिटी दुनिया अंधश्रद्धा की तरफ दौड़ रही है। मालूम है, सब बड़े-बड़े अच्छे पढ़े लिखे भी लोग अंध श्रद्धा की तरफ दौड़ रहे हैं। अंधश्रद्धा किसको कहते हैं? मालूम है अंधश्रद्धा का मतलब क्या है? अगर स्वास्थ्य के लिए करें तो ठीक है, यह जो गलत ऊर्जा किसी ने किसी को कुछ किया, फलाने के पास जाए वह ठीक करेगा, उसने उसको कुछ करवा दिया, ये करो, ऐसे करो, ये टोटका करो, वो टोटका करो, ऐसे टोटके करो, तो सब ठीक होगा। आपको सच बताएं अगर आप इन टोटकों में उलझ गए, तो सही जगह कनेक्शन नहीं बैठ पाएगा, और मेजोरिटी बच्चे अंधश्रद्धा की तरफ भाग रहे हैं। आप अपनी किस्मत को बदल सकते हो? बदल सकते हो, लेकिन अंधश्रद्धा से नहीं बदल सकते। आप अपने दृढ़ विश्वास से बदल सकते हो। आप अपनी कड़ी मेहनत से बदल सकते हो। आप अपनी लगन से बदल सकते हो। अगर आपको कहे की कोई फलानी जगह कोई बाबा जी बैठा है, या वो आपकी किस्मत बदल देगा, वह आपको ठीक कर देगा। नहीं..., यह नहीं हो सकता। आपकी किस्मत आप खुद बदल सकते हो। आपकी किस्मत आप खुद चेंज कर सकते हो। आपके सारे ग्रह आप खुद परिवर्तन कर सकते हो। लेकिन उसके लिए हमें दृढ़ संकल्प चाहिए। आप सोचो कहीं जाएंगे, कोई कुछ बोलेगा, कि सुबह जल्दी उठना ये करना- तब हम कर लेंगे। लेकिन जल्दी उठना कितनी अच्छी चीज है। सूर्य के सामने बैठना कितनी अच्छी चीज है। सूर्य से सुबह की किरणें लेना कितनी अच्छी चीज है। बदल सकते हैं। हर कोई अपनी किस्मत को अच्छे से बदल सकता है। आपकी किस्मत कोई दूसरा बदले, ऐसा नहीं हो सकता। आप सोचो हमारे घर में समस्या आई, आप दूसरों के घर में गए कि हमारी समस्या का समाधान करें, समस्या आपके घर में आई है ना, तो समाधान किसको करना चाहिए? आपको खुद करना चाहिए। तो अंध श्रद्धा की भक्ति से बाहर निकले। अंध श्रद्धा से बाहर निकले, और हम कहे बस एक बाबा पे भरोसा रखें सब कुछ अच्छा होगा। हर समय से निकलेंगे, हर समय से गुजर जाएंगे। ठीक है। अपने आप को देखना और "ॐ" का उच्चारण करने के लिए क्यों कहते हैं? गलती से अगर आपके आसपास नेगेटिव ऊर्जा भी है, अगर आपको ये वहम होता है ना, फलाने ने कुछ करा दिया है, फलाने के साथ ऐसा हो गया है- यह "ॐ" का उच्चारण जो है ये आपकी सारी नेगेटिव ऊर्जा को खत्म करेगा। एक ध्वनि ही ऐसी चीज है जो आपके चारों तरफ के अंधेरे को खत्म कर सकती है। समझ में आ रहा है? तो इस ध्वनि को करें और इसका फायदा जरूर देखें।
दूसरी बात है किसी को दुख नहीं देना है ठीक है। यह बात हम जरूर बोलेंगे, बोलना भी चाहिए, नहीं तो आप सभी बाद में हमें उल्हाना देंगे कि बाबा आप आए थे हमारे स्थान पर, आपने तो हमें बताया ही नहीं कि क्या सही है? क्या गलत है? इसलिए बोले? बोले? किसी को दुख नहीं देना है, इसका मतलब क्या होता है? किसी को भी दुख नहीं देना है इसका मतलब क्या होता है? किसी को दुख नहीं देने का मतलब किसी को गाली नहीं देना... किसी को अपशब्द नहीं बोलना... यह दुख देने में आता है। आपके कड़वे वचन से किसी का दिल दुखे यह भी आता है ना। उसके अलावा और किसी को दुख नहीं देना। जो पशु,पक्षी,जीव, जंतु है यह क्या है? यह चलते हैं ना। यह अपनी भाषा में बात करते हैं ना। यह बोलते हैं ना। तो इनको भी दुख नहीं देना है। ये याद रखें। हम सिर्फ अपनी जीभ के लिए, और टेस्ट के लिए, अगर हम किसी पशु- पक्षी, जीव-जंतु को दुख देते हैं, यह रॉंग है। अगर हम अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए, अपने कार्य को पूरा करने के लिए बली देते हैं। एक जानवर जो आपकी भाषा नहीं जानता, आपको अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए एक जानवर की बली चाहिए, ताकि माँ हमारी इच्छा पूरा करेगी? ताकि माँ हमारी मनोकामना पूरी करेगी? हम क्या बोलते हैं? माँ हमारी मनोकामना पूरी करेगी अगर हम उसपे बली देंगे तो। एक बात बताओ महाकाली के गले में किसकी माला है? बकरे की? मुर्गे की या भेड़ की? किसकी माला है? किसकी माला है महाकाली के गले में? सब मनुष्यों की माला है। असुरों की माला है। समझ में आ रहा है? महाकाली कौन है? महाकाली प्रकृति है! और महाकाली रूप कब धारण करती है मालूम है? महाकाली कब बनती है? जब उसकी ही संतान को उसी के बच्चों को दुख दिया जा रहा हो, और दुख देने वाले कौन है? असुर उसी के ही असुर। तो महाकाली के गले में कोई भेड़ की माला नहीं है, महाकाली के गले में कोई मुर्गे की माला नहीं है। महाकाली के गले में मनुष्यों के मुंड है। क्यों? आप उसी की ही संतान को दुख दे रहे हैं तो अंतिम समय में वह भी गर्दन काट के ऐसी माला बनाए पहनेगी, घूमेगी और दिखाएगी देखो आपने क्या किया? इसीलिए प्रकृति के भयानक रूप से बचना चाहते हैं तो संकल्प ले अपने जीवन में क्योंकि फिर यह मत कहना कि हमने कुछ नहीं किया... हमसे कोई पाप नहीं हुआ.... हमने कोई गलत काम नहीं किया.... प्रकृति की.... एक माँ के बच्चों को दुख पहुँचाना.... आप क्या करते हैं? बली काटते हैं या मुर्गा या भेड़ या जो भी कुछ काटते हैं, क्या माँ को वह चाहिए? उसको नहीं चाहिए। गलती से ऐसा कभी ना हो, आप सोचो, आप ही के बच्चे की गर्दन अप ही के सामने काटी जाए तो आपको कैसा लगेगा? समझ में आ रहा है? आप ही के बच्चों की गर्दन काटी जाए तो कैसा लगेगा सोच के देखो। सोच के देखो, विचार करके देखो, इमेजिन करो। आपके बच्चे की एक ऊँगली कट जाए तो आपको पीड़ा होने लगती है, आप रोने लगते हो, डॉक्टर के पास लेकर जाते हो। आप तो प्रकृति माँ के बच्चों को उसी के सामने गर्दन काट के उसी के ऊपर बलि चढ़ा रहे हो, तो उसको कितनी पीड़ा होगी। और जब उसको पीड़ा होती है तो वह क्या करती है? फिर वह बनती है "महाकाली"! और आपको यह बता रहे हैं, महाकाली अपना रूप बदल रही है, बदल रही है। यह कोई ऐसा नहीं सोचना कि बाबा आये है डरा रहे हैं । ना...।
जैसे आपको एक बताते हैं अभी साइंस अगर अनाउंस कर दे कि समुद्र में बहुत भयानक तूफान आने वाला है सब समेट लो। आप कहो साइंस वाले डरा रहे हैं हमें, हम क्यों माने उनकी बात? हमने थोड़ी देखा? अरे उन्होंने वो देख लिया है। और हम भी बोल रहे हैं हमने भी देख लिया है- वो किस तरीके से अपने रूप को धारण कर रही है। यह डराने की बात नहीं है। आप यही सोचो अगर मेरे बच्चे के साथ ऐसा हो तो मुझे कैसा लगेगा। माँ प्रकृति के बच्चों के साथ अगर ऐसा हो, तो उसको कैसा लगेगा? यह नहीं सोचना मरना तो सबको है, पर मौत कैसी होनी चाहिए? तड़प तड़प के? कि कोई हमारा एक उंगली काटे, एक हाथ काटे, फिर एक दूसरा पैर काटे- क्या ऐसी मौत होनी चाहिए? ऐसी मौत कौन चाहेगा? मौत ऐसी हो- हम बैठे हो और आत्मा शरीर से निकल जाए बिना दुख और बिना पीड़ा के। जिनको पता नहीं था यह बात, कोई बात नहीं, पर जिन को पता है वह ध्यान रखें, यह बहुत जरूरी है। यह डर नहीं है, ये भय नहीं है, यह अब होने वाली घटनाओं का वर्णन है कि ऐसा समय भी आने वाला है। आप बच्चे सिर्फ अपना भविष्य नहीं खराब कर रहे हैं। आप बच्चे अपने छोटे-छोटे बच्चों का भी भविष्य खराब कर रहे हैं। आप उनको भी खिला रहे हैं, सोचो उनको भी तैयार कर रहे हैं। तो उनको सही गलत की पहचान माँ और बाप नहीं देगा तो कौन देगा? अगर माँ और बाप उनको सही गलत की पहचान नहीं देगा तो कौन देगा? तो आप तो कर रहे हैं लेकिन साथ-साथ आप अपने बच्चों को भी तैयार कर रहे हैं। यह गलत है, यह रॉंग है, समझ जाओ, नहीं तो आजकल के बच्चों में ऐसी ऐसी बीमारियाँ... अरे नन्हे से बच्चे ने कौन सा पाप किया जो उसको बीमारी लग गई? इतने से बच्चे को शुगर हो गई, इतने से बच्चे को दिमाग कम है। इतनी बीमारियाँ लगी है, इतना डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, मर रहे हैं। क्यों? आप सिखाओ अपने बच्चों को, सही गलत के बारे में बताओ, नहीं तो आप ही के बच्चे कल आपका कान काटेंगे। कान ही है ना? एक चोर को जब फांसी की सजा हुई तो क्या हुआ? अपनी माँ का कान काटा उसने, अपने बाप को बुलाया कि अगर मेरी माँ ने शुरू से मुझे रोक दिया होता तो आज मैं इतना बड़ा अपराधी नहीं बनता। बच्चों आपके भविष्य के लिए है,आपके लिए है। अगर आप सच्चे सनातनी है, अगर आप सच्चे हिंदू हैं..... यह नहीं बोल रहे हैं सिर्फ सनातन, यह जो अलग-अलग जो भी धर्म में है ना, वह यह नहीं सोचो कि भई हम अलग-अलग धर्म के हैं, सबसे पुराना आदि सनातन देवी देवता धर्म है, और सारा संसार उन्हीं की ही वंशज है। कैसे? ब्रह्मा के द्वारा सृष्टि रची गई। सृष्टि में तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सब आते हैं। किसके द्वारा सृष्टि रची गई? ब्रह्मा के द्वारा। उसमें तो सब आते है। तो सब कौन हो गए? सोचो यह अनेक धर्म वाले सृष्टि से अलग थोड़ी हैं। तो आदि सनातन देवी देवता धर्म वाले, हम कहें समझे। कहाँ -कहाँ तो हम देखते हैं जो मंदिर में बैठते हैं, पूजा करते हैं, वह खुद ही खाते हैं। अरे जब गुरु रास्ता भटक जाए, तो चेले कि क्या दुर्गति होगी? यह याद रखना। इसलिए गुरु को अगर अपने पीछे इतनी जनसंख्या लेकर चलनी है, तो गुरु को भी सही लाइन पर चलना है। पर लेकिन आपको बच्चे बताएं, ध्यान रहे, आपके फायदे के लिए है- आज से अगर अापने दिल में संकल्प किया ना, अगर आज से आपने परिवर्तन किया, तो आने वाले समय में आप देखना, आपको कितनी सफलता मिलेगी।
मत दो दुख प्रकृति के बच्चों को, क्योंकि आप भी माँ है, वह भी माँ है, आप भी पिता है, तो फिर महाकाल भी पिता है। याद रखना। आपके दो बच्चे हैं पर महाकाल के कितने करोड़ों बच्चे हैं याद रखना। है ना। यह आपके लिए है, क्योंकि महाकाल और महाकाली एक साथ ही रूप धरते हैं, यह भी देखना। ठीक है। इस चीज पर भी अटेंशन रखना तो आप सभी को बस यही संदेश देने आया हूँ- बोलते हैं ना साइंस के साधन वाले अपने साइंस से देखते हैं, पर मैं तो इस शरीर से भी परे हूँ, और इस शरीर में आया हूँ आपको अगला सिग्नल बताने के लिए की अब क्या घटना घटने वाली है। मालूम है? कोई बोलते हैं किसने देखा मर के? तो हम कहेंगे हमने देखा मर के, और हम आपके बीच में आया हूँ, यह बताने के लिए कि आगे की स्थिति कैसे बिगड़ने वाली है। आज से परिवर्तन करोगे तो उस पीड़ा से भी बचोगे, नहीं तो वह सीन देखकर आ रहा हूँ कि क्या हाल होने वाला है। बचाओ अपने आप को भी, और बचाओ अपने बच्चों को भी, और बचाओ अपने परिवार को भी।
अरे प्रकृति माँ ने आपको खाने के लिए इतना कुछ दिया है। बहुत है, इतनी अच्छी चीजे दी है खाने के लिए, आप उसको खाओ ना। आप उसको क्यों खाते हो? इसलिए सोचो आप कौन हो? कौन हो आप? वेजिटेरियन हो या नॉन वेजिटेरियन हो? वेजिटेरियन! वेजिटेरियन का मतलब क्या है? अच्छा जो बकरी की बलि चढ़ाते हैं और जो बकरी को खाते हैं बकरी क्या खाती है? (घास खाती है) तो घास क्यों नहीं खाते ताकत के लिए? घास खानी चाहिए ना! बकरी खाए घास और हम खाए बकरी ये कहाँ का रूल है? मुर्गा बेचारा दाना चुगता है। तो हम क्यों नहीं दाना चुगते? मुर्गे को दाने से ताकत आए और आपको मुर्गे से ताकत आए!! यह कहाँ का रूल है?
बकरी कैसे पानी पीती है? मुँह से पानी पीती है, शेर जीभ से पानी पीता है, कुत्ता जीभ से पानी पीता है। जो जीभ से पानी पीते हैं वह जानवर कहलाए जाते हैं। जो मुख से पानी पीते हैं वह इंसान कहे जाते हैं, वह वेजिटेरियन है। इंसान का मतलब यह नहीं कि भई बकरी इंसान है। नहीं, वह पशु है। बिल्ली, कुत्ता, शेर यह क्या है? यह जानवर है। गाय, बकरी यह सब क्या है? यह पशु है। इसलिए देखो जाकर के नेपाल में क्या है? "पशुपतिनाथ"! कि पशुओं का भी नाथ है। वह उनका भी है। और हम उनके पशुओं को खा रहे हैं? पशुपति नाथ! सोचो विचार करो, अपने आप को परिवर्तन करो। गाय पशु है वह मुँह से पानी पीती है। क्या आप शेर के जैसे पानी पीते हो? या बिल्ली के जैसे पानी पीते हो? यहाँ कौन बिल्ली के जैसे पानी पीता है? ऐसे कटोरा रखो सामने जीभ से पानी चाट के कौन पीता है इधर? एक भी है इधर पिता है ऐसे पानी? अगर ऐसे पानी पीते हैं तो जानवर है। तो क्या आप जानवर है? नहीं.... आप इंसान है। आप सबसे ऊँच श्रेणी वाले मनुष्य है जिसको सही और गलत की समझ है। तो अपने जीवन को बदलो, जीभ से पानी पीने वाले जानवर हैं। आप मुख से पानी पीते हो आप इंसान हो। अरे जानवरों को भी इतनी समझ है कि मेरे लिए मुझे क्या खाना है, मुझे क्या नहीं खाना है। बकरी को इतनी समझ है कि मुझे घास खाना है, मुझे पत्ते खाने हैं। गाय को इतनी समझ है कि मुझे चारा खाना है। हम इतने ऊँच श्रेणी के मनुष्य होकर हमें यह समझ नहीं है कि हमें क्या खाना है? हमें क्या नहीं खाना है? समझो, अपने जीवन को बदलो, फायदा होगा, और अच्छी जीवन होगी, आपके घर में खुशहाली रहेगी, आपके बच्चे अच्छे रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे, निरोगी रहेंगे, आप निरोगी रहोगे। ठीक है।
अच्छा सदा खुश रहो, हमारा आशीर्वाद हर परिवर्तनशील आत्मा पर, परिवर्तन की यात्रा पर चलने वाली आत्मा को हमारा आशीर्वाद है, कि आप बदलो, परिवर्तन करो, चेंज हो जाओ। आप अपने परिवार को बचाओ, अपने बच्चों को बचाओ, अपने आसपास वालों को बचाओ।फिर मिलेंगे.....
बाबा यहाँ बहुत सारे संगठन के लोग हैं जो सनातन के लिए काम कर रहे हैं, तो आप कुछ मैसेज देंगे उनको?
अच्छा जो संगठन सनातन के लिए काम कर रहे हैं। तो यही हमारा संदेश उन संगठन के लिए जो सनातन के लिए काम करते है, बस उनको भी हम एक मैसेज देते हैं सनातन का अर्थ क्या है? एक धर्म है जो कभी विनाश नहीं होता, वह है "आदि सनातन देवी देवता धर्म"! जो कभी विनाश नहीं होता। वह कौन स्थापना करता है उसको मालूम है? अविनाशी परमपिता परमात्मा सत्य धर्म की स्थापना करता है। जैसे परमात्मा अमर है, ऐसे ही यह धर्म भी अमर है, जो कभी मरता नहीं है, जो कभी विनाश को नहीं पाता। हम उस धर्म के लिए काम जरुर कर रहे हैं, लेकिन हम बस यह जरूर सोचे कि उस धर्म की श्रीमत क्या है? उसमें थोड़ा जाए। उनको सबको यही एक मैसेज है कि सनातन धर्म में अपने देवी देवताओं को या कृष्ण को, या विष्णु, लक्ष्मी को, कभी नॉनवेज का भोग नहीं लगता, कभी नहीं लगता। तो बस हम यही कहना चाहेंगे कि जो नॉनवेज का भोग लगाते हैं, वह अपने लिए लगाते हैं, वो अपनी जीभ के लिए लगाते हैं, वो अपने स्वार्थ के लिए लगाते हैं। बाकी सत्य सनातन धर्म यही कहता है कि कभी भी किसी को दुख नहीं देना, हिंसा नहीं करना। तो बस यही है आप अपने कर्तव्य को करते रहे, इसमें जरुर सफलता मिलेगी, क्योंकि अब तो भारत विश्व गुरु की राह पर निकल पड़ा है। और भारत विश्व गुरु था और अब भारत विश्व गुरु बन जाएगा। हम अगर उसके साथ में है वह बनने की यात्रा पर है। इसलिए हम उस भारत के वासी हैं, जो पूरे चारों तरफ के देश-विदेश का भी गुरु है। गुरु, गुरु होता है, और चेला चेला होता है। अच्छा और अपने मन को पूरी तरह से साफ करो। सब कुछ किसका? बाबा का! सब कुछ बाबा का है ना? पक्का? मैं बाबा का... बाबा मेरा... मेरा सब कुछ बाबा का.... तो मन कैसा हो जाएगा? गुलगुल हो जाएगा, साफ हो जाएगा, चमक जाएगा। अगर मन में थोड़ी सी भी है कड़वाहट है, कहीं भी, किसी भी कोने में, तो वह पॉइज़न है और वह पॉइज़न हमारे पूरे ब्रेन में वायरस का काम करता है। यह याद रखना, ठीक है। बाकी की सब की मीटिंग बाद में करेंगे।
अच्छा सभी ऊपर वालों को भी "ॐ"... बड़ा अच्छा लगा सबसे मिलकर। वाह! अभी सभी बच्चे प्रसाद लेकर जाना, और प्रसाद खाकर जाना, ठीक है। वाह! "ॐ"... हम सभी से मिल लिए, और हमसे सब मिल गए। इस मिलन और मेले को ही कहते हैं महामिलन वेला और मधुर मिलन वेला, ठीक है। वाह!
"ॐ".... सदा खुश रहो।