ॐ...'पिताश्री'शिवबाबा याद है?16-04-2025प्रजापिता ब्रह्माबाबा की वाणी
बैंक, ब्याज या मूलधन क्या बेहतर है?

"ॐ"... कैसे हो? अच्छे हैं ना। अगर शरीर बीमार होता है तो क्या होता है? बताओ? (कमजोरी महसूस होती है।) और? (कुछ अच्छा नहीं लगता, काम नहीं कर पाते) मतलब स्थिति सब डगमग हो जाती है। अब शरीर में ताकत है, पर मन बीमार है तो क्या होता है? आप बताओ क्या होता है? शरीर ठीक है आपका चल रहा है, पर मन बीमार है तो क्या होता है? खुशी नहीं रहेगी, गुस्सा, लड़ाई-झगड़ा, रोज-रोज झगड़ा। अगर मन बीमार होता है तो ये एक्शन करता है। रोज झगड़ा, बुरे विचार आना, बुरे ख्याल आना, क्रोध के शिकार बन जाना, काम के वश हो जाना, मोह के बंदर बन जाना, अगर आत्मा का भोजन नहीं खाते हैं। अगर आत्मा कमजोर होती है तो यह यह पाँचो विकार आत्मा को कब्जे में लेते हैं। समझ में आ रहा है? मतलब अगर हम ऐसे हैं, तो अभी अपने आप को परिवर्तन... आपने भोजन बराबर नहीं किया है।

अच्छा देखो, अगर आप भोजन याद में करेंगे तो क्या होगा? अगर स्थूल भोजन को आप याद में करोगे, एकदम पूरा एकाग्रता हो करके तो क्या होगा? दोनों को ताकत मिलेगी- तन को भी, मन को भी ताकत मिलेगी। तो आज सभी भोजन बनाते भी झगड़े में है, और खाते भी झगड़े में है। और कभी गुस्सा आ गया तो भोजन की गोल भी बनाते है , थाली गई आसमान की तरफ!! ऐसे भी बच्चे होते हैं। हैना। कोई खाना खाने बैठा, किसी ने कुछ चर्चा छेड़ी, तो थाली ऐसे जाती है। तो क्या हुआ? आपको मालूम है, जो भोजन का अपमान करते हैं, फिर भोजन उनको कभी मान नहीं देगा। कैसा मान? ( किसी जन्म में भूका रहना पड़ेगा) किसी जन्म में क्या हो सकता है इसी जन्म में ही भूखा रहना पड़े। किसी जन्म तो छोड़ो इसी जन्म में खेल, खेल लेते हैं। फिर बोलते हैं बुढ़ापे में बच्चे रोटी नहीं देते- ऐसे बोलते हैं ना। रोटी नहीं मिलती बुढ़ापे में। क्यों नहीं मिलती? कहाँ ना कहाँ भोजन का अपमान किया होगा। कहाँ ना कहाँ रोटी का अपमान किया होगा, तो रोटी उस समय में नहीं मिलेगी। इसलिए पानी और भोजन- ना तो थाली में छोड़ना है, और पानी को ना तो ज्यादा वेस्ट करना है। और भोजन को बड़े प्यार से याद में रहकर बनाना है। अन्न और जल यह दो चीजों को अगर आप प्रेम पूर्वक धारण करते हैं, या किसी को देते हैं, तो यह दोनों ही आपको शक्तिशाली बनाएंगे। तो इसलिए अगर वर्तमान समय इन सब चीजों पर ध्यान रखेंगे, तो भविष्य में प्रकृति भी आपको बहुत.... जैसे आपने.... यह प्रकृति ही तो है ना। भोजन क्या है? प्रकृति है। जल क्या है? प्रकृति है। अगर आपने इसका सम्मान किया तो भविष्य में आपको यह कभी भूखा मरने नहीं देगी। अगर अन्न भी खत्म हो जाए, तो आपके लिए फल जरुर उगाएगी। समझ में आ रहा है? और वह भी स्वस्थ फल। इसलिए भोजन का कभी अपमान नहीं करना, कभी अपनी थाली में नहीं छोड़ना। ठीक है? समझ रहे हैं?

अच्छा और दूसरी बात जब भी आप आते हो, तो चर्चा किसकी हो? बाबा की! मेरा बाबा ऐसा है!.... मेरा बाबा! कैसा मेरा बाबा है? जिससे जीवन बदल जाए, आप बताना- जब बच्चे बोलते हैं ना माया है। हम कहूँगा, अगर माया ने हमारे जीवन को बदल दिया तो माया अच्छी है। समझ में आ रहा है ना? जो माया भगवान से मिलाने का कर्तव्य करे, भगवान से मिला दे, जीवन को प्रैक्टिकल में बदल दे, तो क्या अच्छा है? माया अच्छी है! जो सब बच्चे कहते हैं, हम भगवान से मिलते हैं, या कहीं पर भी बैठकर मिलते हैं, तो देखो अगर परिवर्तन नहीं है प्रैक्टिकल जीवन में, फिर भी विकारों के वशीभूत है, तो अभी भगवान से नहीं मिलते। अभी भगवान से मिलने की जरूरत है। अभी मिलना बाकी है। बाबा माना क्या?

जब बाबा आता है ना, एक पर्वत उठाता है, जिसका शास्त्रों में गायन है, कि गोवर्धन पर्वत उठाया, और सभी क्या हो गए? उसके नीचे आ गए, और वह बच गए। ऐसे कहते हैं ना? वर्तमान समय बाबा ने एक पर्वत उठाया है। गोवर्धन पर्वत की जगह कौनसा पर्वत उठाया है? परिवर्तन का पर्वत! परिवर्तन के पर्वत के नीचे जो बच्चे आएंगे, वह माया की छाया से बच जाएंगे। क्योंकि परिवर्तन तो जरूरी है। परिवर्तन नहीं होगा तो स्वर्ग कैसे आएगा? और परिवर्तन होंगे तभी स्वर्ग में स्थान भी मिलेगा। समझ में आ रहा है? आप बच्चे तो भाग्यशाली हो! हो या नहीं हो? कितने भाग्यशाली हो? अरे!! ऐसा भाग्य हमने... सोचो है ना, पहले कब मैया सोचती थी, बाबा जिस गाँव में मैं आई हूँ, क्या उस गाँव में कोई और मणके नहीं फेंके आपने? क्या सिर्फ अकेले ही मैं आई हूँ? है ना? लेकिन फिर क्या होता है? कि ड्रामा! क्या? ड्रामा में जब जिसका पार्ट होता है, वह उसी समय चमकता है। बीज डाल दिया, कोई बहुत जल्दी उग गया, और कोई थोड़ा देर से उग गया, कोई थोड़ा 10 बरस बाद ऊगा, कोई 20 बरस, कोई बाद में उगेगा। ऐसा होता है ना? तो यह सोचना है कि इस खेती में जमुना के कंठे पर हम भी आए हैं साथ में। है ना। आप कहाँ बैठे हो मालूम है? यह रियल जमुना का कंठा है। है ना। राधा लास्ट में भी जमुना के कंठे पर आई। यह इसलिए आप ये सोचना है कि हम कहाँ है? हमारा स्थान कहाँ है? बच्चों यह सब को एकदम साधारण लग रहा होगा ना। यह खेल, कैसा लग रहा है? एकदम साधारण लग रहा है। जैसे चल रहे हैं... फिर रहे हैं... घूम रहे हैं... पर वास्तव में यह एक लीला चल रही है। समझ में आ रहा है? यह क्या है? यह लीलाएं हैं!

आप कहाँ पर आए हो? यह सब आपका ही है। आप सोचना है कि हम स्वर्ग में इधर ही आने वाले हैं सब। कहाँ आने वाले हैं? इधर ही आने वाले हैं। तो यह सोचना है यह सब लीला देख रहे हैं। देखो कितना नशा चढ़ा है बच्चों को। क्या भारी भारी कदम उठा रहे हैं। ( मच्छरों में भी सो गए!! ) हाँ, जब प्यार होता है ना, तो कहीं भी सो जाते हैं। और देखो, यहाँ रहने वाली बच्चियाँ भी बहुत भाग्यशाली है। पर जो आपके और भी आसपास वाले हैं उनको भी संदेश दो, कि आप जमुना के कंठे पर बैठे हो। बाद में फिर पछताना ना पड़े। क्योंकि अभी सोए हुए को हिलाना है। खटिया को हिलाना है। जैसे किन्ही किन्ही की खटिया बाबा हिलाते थे अमृत वेले के टाइम। किस-किस की खटिया हिली है? जब नशा चढ़ता है ना, तभी खटिया हिलती है, तो कभी खटिया से लुढ़कते हैं, सीधा खटिया से नीचे- उठो बच्चे क्या सो रहे हो! तो यह भी एक नशा है। तो बहुत अच्छा है बच्चों। आप सेव कर रहे है।

( किसी सेवा धारी बच्ची की तारीफ करते बाबा बोले )
आपने सच में साबित किया है। यह छोटी सी शक्ल वाली और अभी अभी आने वाली देवी, इसलिए हम कहता हूँ एडवांस पार्टी वाले क्या स्पीड पकड़ते है। ये तो अभी अभी आने वाली है ना? अभी-अभी आने वाली देवी ने इतनी सेवा की है, जो 20 वर्ष रहने वाली बच्चियों ने भी इतनी सेवा को नहीं उठाया। बहुत अच्छा बहुत अच्छा वाह बच्चे वाह! वैरी गुड!! हम आप बच्चों के लिए गिफ्ट लेके नहीं आया हूँ। बिना गिफ्ट के चलेगा ना? ( बाबा गिफ्ट तो आप ही हो) मैं गिफ्ट हूँ ना- यह वाला बराबर बोला आपने। गिफ्ट तो मैं तब बनूँगा, जब मैं ऐसे बाल कृष्ण की शक्ल वाला बनूँगा!! इस रूप में मैं गिफ्ट!! गिफ्ट के रूप में मैं आऊँगा।

अच्छा है, हमें बड़ी खुशी हो रही है मिलकर के सबसे। खुशी हो रही है ना? (क्योंकि राधे के गाँव में आये हैं ) अपनी माँ के गाँव में आया हूँ ऐसा बोल रहा है ना द्वारिका? देखो जहाँ माँ है, वहाँ बच्चा है, वहाँ बाप है। सब एक ही जगह इकट्ठे हो जाते हैं ना। तो यह समय इकट्ठा होने का समय है। वही बच्चे हैं। बच्चे भी यहीं हैं। एक समय ऐसा आएगा की अभी यह जो स्थान है.... क्योंकि बीज रह जाता है ना। चारों तरफ से घूमते हुए यहाँ पे आएंगे। और जो विचार आया है हिमालय में भट्टी रखने का- यह बड़ा शुभ विचार है। हम कहूँगा इसको पूरा करो, देवी। ठीक है। करके दिखाएंगी ना? वाह बहुत बढ़िया! तो एक मंथ हिमालय में भट्टी रखने का विचार बहुत अच्छा है। भल 2 मंथ वहाँ रखो, और एक माह इधर रखो। क्योंकि यहाँ से आप चारों तरफ पूरी पावरफुल रूप में साकाश दे सकते हो। थोड़ा अच्छा एकांत में कहाँ... आप बस बढ़ाते जाओ कदम, और बाबा अपने आप ही खींच लेगा। बस योग की ताकत अच्छी रखना है। ठीक है? वाह बच्चे तैयार है ना? एकदम रेडी? मैया ने डायरेक्शन तो सबको सही दिया ना। है ना? एंट्री करते ही टेलीफोन बंद! यह बराबर। तो कोई बच्चे ज्यादा फोन चलाने वाले होंगे ना, वह क्या करेंगे? नहीं- नहीं हम नहीं जाएंगे भट्टी में। इसमें क्या करेंगी? गाँव की प्यारी-प्यारी माताएं... हम तो फोन चलाती हूँ नहीं, तो फोन से कोई मतलब नहीं, बाबा से प्यार है। और जो घर में रहकर के ही ज्यादा टेलीफोन में दिल लगी हुई है, वह कहेंगे- हम थोड़ा टाइम घर में होकर आते हैं, ताकि फोन चला के आ जाए। हैं ना। याद रखना, अभी से अभ्यास करना है।

देखो पहले वह क्या बोलते थे? चिट्ठी टेलीग्राम की चिट्ठी होती थी ना। तार! टेलीग्राम जाता था ना। आज कमाल की बात है, पहले टेलीग्राम में तार जाता था, आज टेलीफोन में टेलीग्राम आ गया। है ना? आज तो किस में आ गया? सब टेलीफोन में आ गया! सबकी पोस्ट, चिट्ठी सब, सब! एक टेलीफोन से एक बटन दबाओ घर में सब समान हाजिर हो जाता है। एक बटन दबाओ पंखे, दरवाजे, सब,सब हाजिर हो जाते हैं। यह इतना सा टेलीफोन सब सामान घर में पहुँच जाता है। अब यह कमाल की बात है, सोच कर देखना। सारी दुनिया टेलीफोन पर डिपेंड है। एक पत्थर ऊपर से नेटवर्क पर टकराएगा, सबका नेटवर्क क्या हो जाएगा? फिर क्या स्थिति रहेगी ? दुनिया में अरबों, खरबों रूपए सबके किस में रखे हैं? बैंक में रखे हैं। आप सोचो कोई अपनी पॉकेट में पैसा लेकर चलता ही नहीं है आजकल। जमाना ही उल्टा आ गया। आज टेलीफोन से सब कुछ हो रहा है। याद रखो हम बोल रहा हूँ पहले से। हमें बोलना नहीं कि बाबा आपने बताया नहीं। पहले बता रहा हूँ- एक समय ऐसा आएगा टावर बंद, सिस्टम बंद, बैंक बंद। जितना भी आपकी कमाई है, सब कहाँ रह जाएगी? बैंक वाले खाएंगे। समझ में आ रहा है ना? अच्छा मैं डरा नहीं रहा हूंँ, यह याद रखना। यह मत सोचना कि अरे बाबा तो कब से बोलता आ रहा है यह। उस टाइम एरोप्लेन चल रहे थे, साइंस की थोड़ी शुरुआत थी, पर आज साइंस की अंतिम घड़ी चल रही है।

( गृहस्त में रहकर बाबा की सेवा करने वाली बच्चियों के लिए बाबा बोले :-)
यह सतयुग में क्या बनेंगी सोचो? जो बच्चियाँ परिवार को भी संभालती है, और बाबा के घर को भी, और सेवा को भी। आप बच्चों को तो ज्यादा टेंशन नहीं है ना। एक ही संभालना है। ऐसी ऐसी बच्चियाँ है, जो अपने लौकिक परिवार को भी संभालती है, सेवा को भी संभालती है, सेंटर भी चलाती है, और बाबा मिलन भी करती है, और कराती भी है। अच्छा है। है ना। कोई छूट गया हो तो माफी चाहूँगा, आप दिल से मत लेना।

आप सब रो क्यों रहे हैं? हमने तो अच्छी बात बोली है ना। प्यार में रो रहे हैं ना। हमें भी प्यार है आप सबसे।

तो बच्चों ध्यान रखो, ऐसा नहीं करो कि पॉकेट खाली और आपने दूसरों की पॉकेट को भरा हुआ है। ठीक है। एक अच्छी बात बता रहा हूँ, अपने खुद की पॉकेट खाली... कमाल है ना, अच्छा आप इतना सब पैसा बैंक में क्यों रखते हैं? कोई सोचते हैं, हमें इंट्रेस्ट मिलेगा, आपको हम बता रहा हूँ, कुछ बच्चे बैंक में पैसा रखते हैं कि हमें इंट्रेस्ट मिलेगा, और उससे हमारा खर्चा चलेगा, ऐसा ही ना। चलो किसी ने 40-50 लाख रुपए बैंक में रखे, और कुछ उसका ब्याज आ रहा है, और खा रहे हैं। एक दिन वह बैंक खत्म! तो आपने बैंक से लिया या दिया? लिया या दिया? आज बैंक बन गए हैं, पहले तो कुछ एक चीज बनती थी, बैंक नहीं क्या था वह पहले भूल गया हूँ?(सेठ ) नहीं नहीं कुछ एक... (तिजोरी ) नहीं तिजोरी भी नहीं। कुछ एक ऐसा सरकार की तरफ से कुछ ऐसी चीज आती थी, कि भई उसमें सेफ रहता था। पहले सेफ रहता था लेकिन आज के टाइम में सेफ नहीं है। कोई बोलते हैं, किसी ने हमें बोला कि चलो आप हमें इतना पैसा दे दो, हम हर महीने आपको ब्याज देंगे। आजकल बैंक तो छोड़ो, आजकल किसी के पास रख देते हैं, कि हर महीने इतना ब्याज देंगे। और वह निकल लिया पतली गली से!! क्या हुआ? आपका पैसा लिया 2-4 एक साल भर ब्याज दिया, और 2 साल के बाद कहाँ गया? वह सेठ ले के निकल लिया अपना विदेश में। क्या समझ में आया आप सबको? (बाबा हम तो प्रैक्टिकल में अनुभव करके बैठे है।) वाह देखो प्रैक्टिकल भी बैठे हैं। आज के टाइम में कहते हैं- आप हमें इतना दे दो, हम आपको ब्याज देते रहेंगे। कितना बुद्धि मूर्ख है। इसका मतलब यह है कि आप अपने पैसों को संभाल नहीं पा रहे, इसलिए आप उसको ब्याज पे दे रहे हैं। ये ही काम हुआ ना। जब आप नहीं संभाल पा रहे हैं, तो सामने वाला कैसे संभाल पाएगा? जब आपको खुद पर भरोसा नहीं है, तो सामने वाले के ऊपर कैसे भरोसा कर लेते हैं? (बाबा लालच में फंस जाते हैं) कि और देगा, और मिलेगा। और लालच बुरी बला- याद रखना। क्या होता है? लालच! इसलिए बोलते हैं कि ईमानदारी से कमाओ, थोड़ा कमाओ, पेट भरो, अपना कारोबार चलाओ, और बचा हुआ समय भगवान के नाम में लगाओ- यह है जीने की सही कला। और अगर पैसे का लालच आया, थोड़ा और आया, फिर और इच्छा हुई, और इच्छा हुई। फिर वह जो जमा किया ना वह भी चौपट! वह भी साफ !! इसलिए कोई बात नहीं जिंदगी में ऐसी ठोकर भी किसी न किसी को लगती है। कोई एक बार गिर के संभल जाए तो वह महान है। पर जो बार-बार गिरे वह मूर्ख है। एक बात याद रखना, जो गिर के संभल जाए उसको हम कहेंगे महान। क्यों कहेंगे? उसका एक कारण है, कि आपने जिंदगी में अनुभव लिया और उस अनुभव को आप और लोगों को बता सकते हो। क्या समझ में आया? एक बार जो गिर के संभल जाए उसको हम महान कहूँगा। उसको महान का टाइटल इसलिए दे रहा हूँ, क्योंकि आपने जिंदगी का सबक लिया और आप दूसरों को भी यह शिक्षा दे सकते हैं, कि देखो ऐसे मत फंसना नहीं तो बहुत बुरी तरह से ठोकर खाओगे। लेकिन जो बार-बार वही काम करें? बार-बार वही काम करें, कोई भी आकर के उसको फंसा ले। बार-बार वही करे, बार-बार वही करे, उसको क्या कहेंगे? वह मूर्ख भी नहीं, उसको डबल महा मूर्ख लगा दिया जाएगा। है ना। क्यों? क्योंकि वह मूर्खता कर रहा है। इसका कहने का अर्थ है कि इस गली से जा रहा हूँ, बीच में कुआँ पड़ता है। किसीने कहा कुएं में मत गिरना। गिर गया, फिर किसीने निकाला मेहनत कर के। निकल के गया, उसके बाद फिर वहीं से जा रहा है, फिर कुएं में गिर गया। अब वह जो भी निकालेगा, तो वह तो सोचेगा ना, यह तो बुद्धू है, ये कहीं भी गिर जाता है। इसलिए कभी भी ऐसे नहीं सोचना। बहुत बच्चे ऐसे हैं जो अपनी कमाई, इतनी मेहनत से करके कहीं ब्याज पर रख देते हैं, और ब्याज खाते हैं। मत करो ऐसा। आपकी कमाई, आप अपनी कमाई को खाओ ना। ब्याज क्यों खा रहे हो?
किस लिए खा रहे हो? आपने जो किया है उसको यूज करो आप। उसको ब्याज पर रखने से कोई मतलब नहीं है। हम तो बिल्कुल मना करूँगा। मतलब वह ब्याज फ्री का है या पैसे का है आपका? अभी ये बताओ पहले। आपका अगर इतना 50 है तो आपको अगर 10,12, 15 ब्याज मिल रहा है, तो वह फ्री का है, या आपकी मेहनत का है? आप पहले यह बताओ। आपको लग रहा है कि वह फ्री का है। (बाबा मेहनत का है ) नहीं, नहीं, वह जो आप कर रहे हो, आप सोच रहे हो ना, लेकिन आपके दिमाग में तो यही है ना, कि ये फ्री का है। तो फ्री का खाओगे तो फिर वह जो आपका कमाया है वह भी जाएगा। क्यों खा रहे हो फ्री का? आपने जो कमाया है, आप जो मेहनत मजदूरी करके लेकर आते हो, उसी को खाओ। उसको अपने पास रखो, कोई बात नहीं। आपके पास रखा है, आप उसको खर्च करोगे, आप उसको कहीं पर भी लगाओगे, आप उसको कहाँ सेवा या अपने उसमें या कहीं कारोबार में या अपने ऊपर खर्च कर रहे हो, उसको आप खर्च करो। पर ऐसे मत समझो कि हमें बैठे-बैठे हमने इतना कर दिया है।

अच्छा एक बात बताओ आपने 50 लाख रुपए कहीं ब्याज पे दे दिए, और कल को आपका शरीर छूट गया, तो? आप बताओ ना। आप क्या गारंटी से आप किसी की झोली में पैसा रखते हो? कल को शरीर छूट गया तो क्या होगा? गया ना! तो फिर क्या हुआ? यह थोड़ा दिमाग लगाओ। बच्चे बहुत सलाह देते हैं एक दूसरे को, बहुत समझदार भी बनते हैं, पर हम तो कहूँगा यह विचार, यह सलाह, यह कहीं किसी की भी मत दो, कि ब्याज पर दो, बैठकर ब्याज खाओ। ना...! अपना ही खाओ, जो आपने कमाया है। वही उसी को ही यूज़ करो जो आपने कमाया है। ब्याज पर रख करके ऐसे करने से कुछ भी मतलब नहीं है। रखो, आप सोचो ना, आप ऐसे सोचते हो नहीं हम संभाल नहीं कर पाएंगे। अरे जब आप नहीं कर पाओगे, तो दूसरे पर क्या भरोसा रखते हो? आप ईमानदारी से रहो, और तो आप सोचो ना कि बाबा संभाल कर रहा है। भले मेरे पास भी रखा है, तो उसकी संभाल कौन कर रहा है? बाबा बैठा है ना, वह संभाल करेगा। चोरी तो होना होगा तो वहाँ से भी हो जाएगा, और मेरे पास से भी हो जाएगा। समझ में आ रहा है? चोरी होना होगा तो यहाँ से भी होगा, मेरे पास से भी होगा। जितना हो सके आप संभाल करो। अपना जहाँ पर भी रखना है, तिजोरी में। जहाँ पर भी रखना है रखो। लेकिन ज्यादा से ज्यादा पैसा आप बैंक में नहीं रखना चाहिए। बैंक में या किसी सेठ को ब्याज पर चढ़ा दिया। अरे बैंक तो कम देगा आपको, हम तो एक दो रुपए ज्यादा देंगे। कहाँ 10-20 लाख और कहाँ एक दो रूपया! अंतर तो समझो। अंतर समझ में क्यों नहीं आया? (बाबा बीच में डबल देने वाले भी निकले थे कईओं का बर्बाद हो गया) देखा! डबल दिया, क्या डबल दिया? उसको बोलो ना डबल कैसे देना? अभी हम आपके हाथ में देता हूँ, तो 2 मिनट के बाद में हमें डबल करके दो। बाकी हम देख लूँगा। वह क्यों? क्योंकि उनको पता है मनुष्य प्रवृत्ति का। आपको मालूम है यह जो बड़ी-बड़ी कंपनियाँ खोलते हैं, और फिर लास्ट में भाग जाते हैं, उसका कारण पता है क्या है? आप खुद अपने आप को नहीं समझ पाए, वह बिजनेसमैन आपकी प्रवृत्ति को समझ लिया कि उनको थोड़ा सा लालच दो, तो वह इतना सारा निकलेंगे। फिर और लालच दो तो इतना निकालेंगे। जब तक वो निकालेंगे, जब तक आपकी जेब खाली करके वह नहीं सफा हो जाते यहाँ से। कोई कोई 10 बरस तक भरते रहेंगे, भरते रहेंगे, 10 बरस के बाद निकालने जाओ पैसे, कौन से पैसे? कहाँ के पैसे? कंपनी तो भाग गई!! अरे... 10 वर्ष मेहनत करके पैसे जमा किए, इतनी मजदूरी की, इतनी दिहाड़ी की, और क्या हुआ? कोई आया विदेशी, और सारा हाथ मार के चला गया! ऐसे मत फँसो। आप अपने पास रखो, आपके बच्चे हैं, जो भी करना है, परिवार का खर्चा जो भी चलना है, जैसे चलाना है चलाओ। और अगर आपको अगर जिस पर विश्वास हो, जिसपे भी भरोसा हो, अपना विल करके जाओ, कि भई हाँ ठीक है। और जिसको विल कर रहे हो, उसको बताने की जरूरत ही नहीं है। मालूम क्या होता है? सेवा के लालच में तो कोई कैसे भी करेगा, कि हाँ भई अगर आप सेवा करोगे तो मैं आपको इतना पैसा दूँगा। सेवा के उसमें नहीं होना चाहिए। जो अपने शिद्दत से, ईमानदारी से, अपने दिल से जो करें, है ना। जो दिल से करें, उसको देखना चाहिए। लालच में आकर के तो कोई कुछ भी करेगा ना। और वह कब तक करेगा? (जब तक नहीं मिल जाता है) हाँ... वह जब तक करेगा जब तक उसके हाथ में नोट नहीं आ जाते। और उसके बाद क्या करेगा? आप जाओ। या तो आपको.... आजकल तो क्या करते हैं? माँ-बाप की प्रॉपर्टी लेने के लिए बच्चे खुद माँ -बाप को भी उड़ा देते हैं, कि माँ-बाप के मरने के बाद सारी प्रॉपर्टी हमारी है। तो क्या करेंगे उस लालच में? कि माँ -बाप को जल्दी कोई बच्चे चालाकी से मारते हैं। कोई बच्चे डायरेक्ट से ही ठाँ कर देते हैं। कोई कहीं किसी का एक्सीडेंट करवा देते हैं। ऐसे ऐसे भी बच्चे हैं। कि कब हमारे माँ-बाप निकले और कब हम उनकी प्रॉपर्टी के मालिक बने। हैं ना। और कोई कोई ऐसे भी बच्चे हैं जो अपने माँ-बाप की बहुत दिल से, प्रेम से, सेवा करते हैं, ऐसे भी बच्चे हैं, बहुत प्रकार के बच्चे हैं। लेकिन आप बच्चों को हम सभी को बोल रहा हूँ, यह जो मेहनत मजदूरी करके किस्त भरते हैं, या यह करते हैं, वह करते हैं, सब साफ करो। इतनी मेहनत कमाई है। अगर आप सोच कर देखो 10 बरस किस्त भर के कितने पैसे गए होंगे? अगर वह पैसा आप ब्रह्मा भोजन में लगाते, वह पैसा आप सेवा में लगाते, तो आपका कितना पुण्य जमा होता। एक भगवान की बैंक ऐसी है जो कभी फ्रॉड नहीं करती। हम आपको बताता हूँ। समझ में आ रहा है? एक ईश्वरीय बैंक ऐसी है, जो किसी के साथ फ्रॉड नहीं करती। एक ईश्वरीय बैंक ऐसी है, जो आपको इंटरेस्ट के साथ डबल, ट्रिपल कई गुणा करके देती है। और तो और सोचो इस जन्म में तो क्या, आपके कई जन्मों का इंटरेस्ट जमा हो जाता है। एकदम फूल इंश्योरेंस! पर बच्चे यज्ञ में देते वक्त दिल धक-धक करेंगे, संकल्प चलाएंगे- करें या नहीं करें? करे या नहीं करें? ऐसे करेंगे। अरे कहीं बाद में धोखा तो नहीं मिल जाएगा? अरे आप किसी को दीदी, दादी किसी को नहीं दे रहे हो, आप अपना यज्ञ में इंश्योर कर रहे हो। आप खुद के लिए कर रहे हो। यह मत सोचो कि मुझे.... आप उम्मीद करके मत दो कि मुझे वहाँ से ऐसे मिले। नहीं जो देना है तो एकदम दिल से। छोड़ दो, भूल जाओ फिर आपने क्या दिया है। आपका इंश्योर आपका जमा हो गया। वह किस तरीके से, किस विल से, कहाँ से वो आएगा आपके पास घूम के, आप भी चौकन्ने रह जाओगे कि आया कैसे है? दे या नहीं दे? करें या नहीं करें? जब आप किस्त भरते हो तब तो सोचते नहीं हो कि भरे या नहीं भरे? नहीं ना। उधारी लेकर भी भर कर आएंगे। ब्याज पे उठाकर के भी किस्त भर के आएंगे। करते हैं ना। पूरा दृढ़ निश्चय से- भरनी ही है। लेकिन ईश्वरीय बैंक में सोचते हैं बच्चे- करें या नहीं करें? जमा करें या नहीं करें? हम आपको ऐसा नहीं कह रहा हूँ, कि आप यहाँ लेकर आओ, आप जमा करो। यह उल्टा मत लेना। अगर आप एक आना भी दे रहे हैं, 10 पैसा भी दे रहे हैं, करें या नहीं करे, का कभी संकल्प नहीं आना चाहिए। समझ में आ रहा है? आँख बंद की और स्वाहा, बस! ऐसा होना चाहिए। एक संकल्प भी उठना नहीं चाहिए दे या नहीं दे। अगर दिल में आया, बस हो जाए, चाहे वह एक आना क्यों ना हो। यह मत सोचना की आपसे हजारों या लाखों की कोई.... नहीं!! अगर एक रूपया भी आपने भंडारी में डाल दिया, तो वह गया, वो ईश्वरीय बैंक में जमा हो गया। इसलिए बोलते हैं, कहावत ऐसे नहीं बनी- दे दान तो छूटे ग्रहण। इसलिए यह कहावत ऐसे नहीं बनी । ईश्वरीय बैंक में दान देने से आपके जन्म जन्मांतर के ग्रहण, सारे कर्जे आपे ही खत्म हो जाएंगे। इसलिए हम आपको कहूँगा इधर-उधर टाइम पास करने से अच्छा, इधर-उधर देने से अच्छा, किस्त भरने से अच्छा, अपने पास रखो, अपने लिए खर्च करो। अपना ध्यान रखो। आपका जो दिल करे भंडारी में एक आना या एक पैसा जो भी आपका मन करे। आप सोचना नहीं....
हम आपको सिर्फ एक रास्ता दिखा रहा हूँ। बोलते हैं ना,
बच्चे कहते हैं कि बाबा मांगते हैं। यह हम आपको मांगने के नहीं कह रहा हूँ, यह आपको शिक्षा दे रहा हूँ, एक रास्ता दिखा रहा हूँ, कि यह ऐसे रास्ते हैं। एक में तो आपका पूरा नुकसान है, कि भई आप करोगे तो आपका कोई भी लेकर उड़ जाएगा। एक रास्ता ऐसा है- ईश्वरीय बैंक; फुल इंश्योरेंस, फूल! कि आपको सोचना नहीं पड़ेगा, आपको विचार नहीं करना पड़ेगा, आपको कुछ कहना भी नहीं पड़ेगा- एक ऐसी बैंक है। और वह बैंक आप उसमें एक आना भी डाला आपने..... जैसे साकार में किसी बच्ची ने 8 आना भेजा। 8 आना! है ना। 8 आना, एक पाइ पैसा, 10 पैसे, पाँच पैसे भी भेजती थी यज्ञ में। तो हम कहता था बच्ची आप यह पाँच पैसा नहीं है, यह 5 लाख है। यह आपकी पाँच सोने की इंटे है। क्यों? क्योंकि आपने इतने प्रेम से... आप सोचो आपने लिफाफे में कवर करके इतने प्यार से, उस आठ आने को लिफाफे में कवर करके पोस्ट ऑफिस से पोस्ट कराया है। कमाल की बात है! यह आप बताओ उसका कैसे जमा नहीं होगा? तो यह होता है। पहले तो पोस्ट ऑफिस में चलता था ना सब, पहले नहीं इतना जल्दी स्पीड से 2000 रूपए दो, एक बटन दबाया 2000 रुपए चले गए, बस! ऐसा सिस्टम बैठा हुआ है। 4000 कहाँ विदेश में बैठकर कोई कहेगा- लो मुझे दस हजार दो, तो एक बटन दबाया, फॉरेन में पैसा पहुँच जाता है। कमाल है यह देखो साइंस का साधन। तो इसकी आती है ना। अती का अंत यह निश्चित है। है ना। कोई भी चीज की अती, वह अंत होगी ही। अगर हम बोलते हैं ना तरक्की हो रही है, नहीं, नहीं, साइंस की तरक्की नहीं हो रही है, वह अपने अंत की तरफ जा रहा है। जैसे बच्चा बढ़ रहा है, अरे हमारा बच्चा बड़ा हो रहा है, आप कहते हो ना, हमारा बच्चा बड़ा हो रहा है, जवान भी होगा, अरे जवान हो गया! हमें खुशी हो रही है, पर उसका एक-एक दिन कम हो रहा है, हम यह नहीं देख रहे हैं। वह अपने अंत की तरफ जा रहा है, फिर वो बूढ़ा भी होगा, फिर वो शरीर भी छोड़ देगा। आपको क्या लगता है, कि यह खुशी की बात है, वो एक-एक कदम जा रहा है, और कहाँ जा रहा है? वह अपनी मृत्यु की तरफ जा रहा है, अपने अंत की तरफ जा रहा है। ऐसे ही साइंस.... क्या बोलते हैं सभी? तरक्की हो रही है! ना, ना, ना, तरक्की नहीं हो रही है। क्या हो रहा है? यह अपनी मृत्यु की तरफ जा रहा है। साइंस जो है कहाँ जा रहा है? अपनी मृत्यु की तरफ जा रहा है। उसकी मृत्यु निश्चित है- यह याद रखना। साइंस की मृत्यु निश्चित है। वह मरने वाला है, उसके लास्ट सांस गिने-चुने बचे हैं, जाने वाला है। जैसे साइंस गया, ऐसे ये पूरा संसार पागलखाना बनेगा। कैसे? क्योंकि जिसके कार्य ही उससे होते हैं, जिसकी पढ़ाई... आजकल स्कूल की पढ़ाई किस में आ रही है? ( ऑनलाइन हो रही है बाबा) वही पढ़ रहे हैं। जिसने बचपन से लेकर के साइंस की ही किताब पड़ी है, क्या वह पागल नहीं होगा? जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, पूरा दिन टेलीफोन में अपना दिमाग खराब करते हैं, क्या वह पागल नहीं होंगे? क्या नहीं होंगे? जरूर होंगे। (ट्यूशन भी ऑनलाइन होती है आजकल बाबा) पढ़ाई भी ऑनलाइन करते हैं। तो आप सोचो एक बार विचार करके देखना, इस साइंस से कितनी सारी चीजे कनेक्ट हैं। कितनी सारी चीजे कनेक्ट है। और वह जब टूटेगा, उसकी मौत होगी, तो क्या होगा? अब दूसरा उसका बच्चा पैदा होने वाला नहीं है। किसका बच्चा? साइंस खुद ही बच्चा है। हैना। अब उससे उसकी कोई संतान नहीं पैदा होने वाली है साइंस से। कभी भी सोचो कि भई यह मर गया तो दूसरा पैदा होगा। ना...! पैदा अगर होगा तो स्वर्ग में, शुद्ध, एकदम प्योर! और वह भी इतना जल्दी नहीं। ऐसा नहीं है कि भई इतना जल्दी हो जाएगा। वह बहुत धीरे-धीरे, धीरे-धीरे। जिससे कुछ नुकसान नहीं होगा, सबका भला होगा, जिससे रेडिएशन नहीं होगी, जिससे तबाही नहीं होगी, जिससे नुकसान नहीं होगा- वह साइंस! जैसे यह कलयुग है ना, कलयुग खत्म होगा तो सतयुग आएगा ना। तो जो वो सतयुग का साइंस है, उसकी संतान, स्वर्ग की वह साइंस होगा। एकदम प्योर! और यहाँ का तो देखो, ये कलयुग का है। नष्ट!! ( बाबा प्रकृति के विरुद्ध भी है आज की साइंस) सब प्रकृति के विरुद्ध - नदी को रोक देंगे, उसके सारे रास्तों को रोक देंगे, उसको बांध लेंगे।

बाबा मैंने एक हजार रूपए जमा किया था बैंक में, तो 50000 हो गए, तो बैंक वाले भाग जाते है। थोड़ा-थोड़ा कर करके हजार रुपए महीना भरते थे।

अब नहीं करना। अब कोई भी बोले बिल्कुल नहीं करना है।

(फिर बच्चों ने अपने-अपने अनुभव सुनाए कि कैसे उन्होंने अपना धन गँवाया।)

सोचो वह भी लुट ही गए हैं। आप सोचो आपके लिए एक लाख कितने मायने रखता होगा।

अच्छा हम तो ऐसे स्टोरी लेकर बैठ गए, यहाँ तो सच में इधर लूटे हुए बच्चे बैठे हैं। (किसी के तीन लाख किसी के सात लाख लेकर कोई भाग गया )

देखो,अब नहीं करना है, ये भूल अब भूल के भी नहीं करना है। ( बाबा अब पैसा ही नहीं है अब करें क्या? ) इसलिए पैसा नहीं है कि अपना प्यारा बाबा सोचता होगा इसका देता हूँ, यह लुटा देता है, इसको क्यों दूँ ? है ना। जब तक आप पक्का संकल्प नहीं करेंगे कि बाबा मैं कहीं नहीं दूँगा। किसी पर लुटाऊँगा नहीं। (थोड़ा खर्चा दे रहा है, ज्यादा नहीं देता अब वो !) वह अच्छा है। बहुत अच्छा। अगर पेट भर रहा है ना, अब पेटी भरने की जरूरत ही नहीं है। ( बढ़िया रोटी दे रहा है सब्जी, पर पैसे खर्चने को नहीं देता ।) बस! बस!

बच्चियों हम आपको बताता हूँ, अपने-अपने घर में, अगर आपको लगता है, कि भई हम संभाल नहीं पाते, तो इतना बड़ा गुल्लक रखो, ठीक है। जब भी दिल में उठे की किस्त भरनी है, तो गुल्लक में डाल दो। ठीक है। और गुल्लक ऐसी जगह रखना, और वह भी थोड़ा भारी वाला गुल्लक रखना, ताकि बच्चे तोड़ के ना लेकर जाएं। ठीक है ना। और जब उसको तोड़ो तो उसमें से सबसे पहले बाबा को भोग लगाओ, तो आपका क्या होगा? पूरा सफल होगा। ठीक है। बहुत अच्छा।

यह देखो ऐसे ऐसे बच्चे भी, यहाँ तो बहुत भी बच्चे बैठे होंगे, और भी बच्चियाँ बैठी होंगी यहाँ पर, मेहनत करके।

( फिर किसी भाई ने भारतीयों के भोलेपन पर एक चुटकुला सुनाया और कहा
देखो कितने बुद्धू है।)


यह बुद्धू नहीं, उन्होंने ठगा दिल को, क्योंकि भारतीय दिलवाले हैं। मालूम है? विश्वास करते हैं, समर्पण बुद्धि है, एक दूसरे को आसरा देते हैं, दिल से करते हैं, तो इसलिए वो ठगे जाते हैं। देखो हम फिर से कहूँगा एक बार ठगा हुआ व्यक्ति, तो दिलवाला कहूँगा। उसने विश्वास किया।दूसरी बार भी, तीसरी बार भी अगर दसों बार ठग रहे हैं तो? यह तो अभी आप लोगों को कहानी याद आ गई होगी, कि सोमनाथ मंदिर को मोहम्मद गजनवी ने आक्रमण किया। यह देखो, यह भी माफ करने की.... और फिर भी... फिर भी देखो क्या किया? अब पार्ट ही ऐसा है। उनको रोल ही ऐसा मिला है। है ना? रोल भी ऐसा ही है। क्या? (कितनी बार माफ कर दिया उनको ) फिर 18 बार भी लूट के ले गया। देखो एक होता है कि प्यार से दे देना, जो चीज। और एक होता है मार काट के लेना। तो कोशिश की ना, कि जान बचे। तुमको क्या चाहिए ले जाओ, पर किसी को मारना नहीं। किसी की जान नहीं लेना। और लेकिन आजकल तो चारों तरफ हंगामा मचा है।

वाह बच्चे वाह! अरे वाह यह देखो पहुँच गयी। बहुत अच्छा! यह निश्चय बुद्धि आत्माएं, कि बाप के घर में थोड़ा सा हिसाब किताब आया उसके बाद भी आना नहीं छोड़ा।

और जल्दी ठीक हो जाओगे। 2 मास में और एकदम ठीक हो जाओगे। कमाल है देखो, और खुद चल के आई है। यह निश्चय। इसलिए हम बोलता हूँ बीमार होते हैं तो भी मन से होते हैं। देखो उनका दृढ़ संकल्प है ना, तो कितना जल्दी उन्होंने कवर किया है। मात्र एक मास में। एक मास में? अब 6 मास में या 3 मास में तो पूरी तरह से एकदम ठीक हो जाएंगे। (और विश्वास बिल्कुल भी कम नहीं हुआ) इसलिए तो ठीक हो गई। विश्वास टूटा तो माना बिस्तर पर गया। समझ में आ रहा है? अगर भरोसा टूटा तो आप बुराइयों के शिकार हो गए। अगर आपका निश्चय दृढ़ है, तो आप ठीक होने की यात्रा पर हो। यह सोचना है कि मेरा किसी जन्म का एक हिसाब किताब आ गया होगा, और वह चुक्तु होके निकल गया। ठीक है।

वाह बच्चों आज हमने बहुत सारी बात कर ली। (दोबारा कब आएंगे आप?) दोबारा कब आऊँगा? बाबा ने डेट नहीं दिया हमें। जैसे आपको डेट मिलती है ना, तो बाबा हमें डेट नहीं देता। हम कभी भी जब बाबा कहे जाओ बच्चे तभी पहुँच जाता हूँ।

बाप भी बंधा हुआ है ड्रामा की हर सीन में, पर सतयुग में ऐसा नहीं होगा। सतयुग में कल क्या होने वाला है आपको सबको मालूम होगा। क्योंकि वहाँ ढिंढोरा नहीं पीटेंगे ना- कल यह होगा, यह होगा। सतयुग में आत्मा को अपनी पूरी जर्नी के बारे में मालूम होगा- मैं कब शरीर छोड़ रहा हूँ? कहाँ जाऊँगा? मेरा क्या नाम होगा? पूरे 21 जन्म तक, हर एक आत्मा को अपने पूरी जर्नी का मालूम होगा। वहाँ लड़ने झगड़ने की बात ही नहीं है। क्योंकि छोटा इतना होगा तो सब आपस में मिलके रहेंगे। अब यहाँ से कोई आत्मा गई, किसी को बहुत प्रेम था, और पहुँच गई बम्बई में। और किसी को पता लग गया कि हमारी बहन या हमारी पत्नी या हमारा पति बम्बई में चला गया, उस घर में है। तो क्या होगा? क्या होगा? (मिलने के लिए चले जाएंगे) मिलने के लिए नहीं छीनने के लिए जाएंगे! कहेंगे यह तो मेरा पति था, इसको मेरे को लौटाओ। अब जिसने पैदा किया है, वो कहाँ जाएगी? इसलिए कलयुग में बाबा सबकी याददाश्त को खत्म कर देता है। यह जो वरदान है, यह खत्म हो जाता है। क्योंकि इसका मिस यूज़ होना शुरू हो जाता है द्वापर में। किसी के बच्चे चोरी कर लेना, उठा के ले आना- यह होना शुरू होता है। क्योंकि मोह की रग जाने लगती है।

बाबा मम्मा को लाने गए थे क्या आप?

मैं तो नहीं गया, क्योंकि मुझे पता था कहाँ है। जगदीश बच्चा बिचारा थोड़ा सा देखने के लिए गया था, लेकिन जगदीश को भी पता था नहीं है। क्योंकि जगदीश को ले गए सभी, चलो भाई चलो, चलो। क्योंकि जगदीश को पता था कि कहाँ है, पर बच्चों की संतुष्टि के लिए उनके साथ जाना ही पड़ा उसको। पर बाद में तो हम और जगदीश बच्चा, हम तो जाकर आए ना जहाँ था। यह किसी को पता नहीं चला, कि हम जाकर भी आ गए। (लेकिन मिलने नहीं दिया था ना बाबा?) मिल भी नहीं सकते। तो ज्ञान सिद्ध नहीं होता ना। दृष्टि नहीं मिल सकती। पर मालूम तो था ना। अगर हम भी ऐसे करते तो यही होता ना कि भई हाँ देखो बाबा को भी रग है कहाँ। तो इसलिए।

चलो बच्चों "ॐ"....
फिर मिलेंगे....

बाबा आबू की एक बहन है वह शंकर पार्टी से है, कहती है कि वीरेंद्र दीक्षित ने 2022 में शरीर छोड़ दिया, डिक्लेयर कर दिया उन्होंने क्लास में। अब उनके जो अनुयाई हैं ना, किसी को हार्ट फेल हो रहा है, किसी को डिप्रेशन हो रहा है, मतलब सब परेशान है। कहती है बाबा से पूछो क्या सब ऐसे शरीर छोडेंगे?

एक बात बताओ अगर बाप से जुड़ते, तो ना किसी को हार्ट फेल होता, ना किसी को डिप्रेशन आता, ना कुछ होता। तो बाप से नहीं जुड़े ना। किस से जुड़े? ( वीरेंद्र दीक्षित ) किससे जुड़े? उस एक आत्मा से जुड़े। योग करना है, तो उसकी कैसेट चलाकर करना है, मुरली सुननी है तो कैसेट चला कर सुननी है। तो बुद्धि योग पूरा कहाँ फंँसा था। कहाँ फँसा था? उसी में ही फँसा था ना। अब उसने तो वायदा करके गया है, यह भी तो रास्ता भटकाना हुआ, कि हम कभी मारूँगा नहीं। भल हमारा शरीर बर्फ में रहे, हम कभी शरीर नहीं छोडूँगा। यह ज्ञान एक साधारण से साधारण व्यक्ति को पता होता है कि जो जन्मता है उसकी मृत्यु निश्चित है। तो डिप्रेशन में नहीं जाएंगे तो क्या होगा। इसलिए उनको कहो सही बाप ने आपको बुलाया है, आपको निमंत्रण दिया है - आओ, अगर सच में मन की शांति चाहिए तो। उनको कहो "ॐ" करो अगर सच में.... क्योंकि पुराना किचड़ा है, ऐसे निकलने वाला नहीं है। वह बहुत रगड़ा जाएगा, तभी बाहर आएगा। ठीक है। क्योंकि यह तो हालत अभी एक की नहीं होगी। अभी तो यह स्थिति है, अभी हम ऐसा नहीं कहना चाहता बच्चों के लिए, हमारे ही बच्चे हैं, फिर भी हम कहूँगा - अब थोड़े टाइम में जो इविल सोल है, उनका बहुत विकराल रूप टूटने वाला है। और इतना भयानक रूप की जो पुरानी पुरानी बच्चियाँ है। हम सिर्फ यह नहीं बोल रहे हैं कि भई हाँ, जो उस बच्चे के साथ जुड़े थे। जो मधुबन में है, जो सेंटर में है, जो कहाँ पर भी हैं, ऐसा खतरनाक रूप सबके ऊपर टूटने वाला है बुरी सोल का, जो नचा के रखेंगी। क्योंकि बाप जीवन में नहीं है। बाप नहीं है तो जरुर कहाँ ना कहाँ पाप हो रहा है। तो वो बहुत ज्यादा हाल खराब होने वाला है। यह हम पहले से ही इशारा दे रहा हूँ। अभी थोड़े टाइम में ही... और ऐसा नहीं है कि होगा। हो रहा है। बस यह ऊपर उछलने की देरी है। इसलिए "ॐ" का उच्चारण क्यों कहता हूँ? "ॐ" का उच्चारण, महामृत्युंजय मंत्र, आप जितना "ॐ" की ध्वनि करेंगे ना, आपके साथ अच्छी ऊर्जा जुड़ेगी। स्वयं परमपिता परमात्मा की ऊर्जा जुड़ेगी। जब वह ऊर्जा जुड़ेगी तो आपके आसपास नेगेटिव ऊर्जा नहीं घूमेगी। यह चीज समझ में आ रही है? यह हम ऐसा नहीं बोल रहा हूँ कि भई भूत प्रेत दूर भागेंगे। नहीं। जब आप एक अच्छी ऊर्जा के साथ जुड़ जाओगे, आपका कनेक्शन एकदम फिट बैठ जाएगा, तो आपको.... जैसे कि ऊपर बहुत पानी है, एक छेद कर दो, और आप क्या रहोगे पूरा दिन? उस पानी में ठंडे रहोगे ना, शीतल रहोगे ना। शीतल रहोगे कि नहीं रहोगे? तो बस यह सोचो ये पूरा ब्रह्मांड है, इसमें "ॐ" का उच्चारण करके एक छेद कर दो, और पूरा दिन आप उस ऊर्जा में भीगते रहोगे, और नहाते रहोगे, और आपके पास इवील सोल का कोई दूर-दूर तक चांस नहीं है। हाँ, क्योंकि आप जहाँ पर भी जाओगे ना वह जो छेद से जो ऊर्जा आ रही है, वह आपको ऐसे बॉल मुआफ़िक रखेगी और कवर रखेगी। इसलिए क्यों कहता हूँ "ॐ" का उच्चारण करो ये इसलिए बोलता हूँ। अभी हमारी बात कोई नहीं सुनता ना ध्यान से, अब जब तांडव होगा ना, बुरी सोल का, तब वह जब सीन सामने आएगा। क्योंकि यह चीज बहुत बुरी तरह से हो रही है, होने वाली है, और बहुत बड़ा रूप आने वाला है इसका। इसलिए घर से भी निकलते हो, "ॐ" का उच्चारण करके निकालो। क्यों कहता हूँ घर से निकले तो "ॐ" उच्चारण करके निकालो? ताकि आप कवच पहन के, वस्त्र पहन के निकलो ताकि रास्ते की ऊर्जा आपके ऊपर अटैक नहीं करे। है ना। घर से निकलो तो बता कर निकलो। घर से निकलो "ॐ" का उच्चारण करो। अपने बच्चों को भी बिठाके कराओ, स्कूल में भेजो तो। आजकल स्कूल में भी बच्चे प्रभावित हो जाते हैं छोटे-छोटे बच्चे। क्यों? क्योंकि जो इविल सोल है वह खाली जगह में नाचती है। स्कूल रात में खाली हो जाते हैं, तो उधर ही घूमती रहती है। तो जब आपके बच्चे घर से बाहर निकले तो उनको भी एक मिनट "ॐ" की ध्वनि करा करके निकलो। तो उनको क्या हो जाएगी? पांच रोज में आदत पड़ जाएगी और ऑटोमेटेकली वह अपने आप सुरक्षित हो जाएगी। है ना। रोज यह करना ही है। यह चीज आपको बाद में समझ में आएगी कि हम इस पर दबाव क्यों दे रहे हैं। ठीक है।

क्योंकि आप जैसे ही एकाग्र हो करके "ॐ" का उच्चारण करते हो, आपकी मन और मुख की वाणी सीधा ऊपर जाती है। जब गलत बोलने से गलत वाइब्रेशन बन जाता है, समझ में आ रहा है? जब गलत बोलने से गलत वाइब्रेशन बन जाता है, तो अच्छा बोलने से क्या अच्छा वाइब्रेशन नहीं बनेगा? बनेगा ना? तो जब आप "ॐ" का उच्चारण करोगे तो क्या अच्छा वाइब्रेशन नहीं बनेगा? वह बनेगा, और आप बुरा बोलोगे तो उसका भी वाइब्रेशन बनेगा। इसीलिए वाणी भी और मन भी "ॐ" का उच्चारण करें, तो आप अपने आप ओरे में आ जाएंगे। ठीक है? आपको ऐसा नहीं सोचना है कि बाबा शक्ति दे रहा है- यह भी मत सोचना। वह ऑटोमेटेकली आ रही है। यह प्रोसेस है। यह जैसे पानी पिया प्यास बुझ गई, खाना खाया भूख मिट गई। आपने "ॐ" किया तो आपने कवच पहन लिया, अापने वस्त्र पहन लिये। यह ऑटोमेटेकली प्रोसेस है, ऐसा नहीं कि बाबा कोई काम छोड़कर के आपके पास आएगा, शक्ति देगा। नहीं... यह नहीं सोचो आप। यह सिस्टम बना ही हुआ है। आपकी अपनी ही ऊर्जा आपके काम आएगी। है ना। आपको अपने से करना है। तो आपने किया तुरंत आपको वो एकदम रिस्पांस मिलता है। तो आप करो 5 मिनट बैठ करके, पूरा कमर सीधी करके, ध्यान लगाके, "ॐ" किया तो आपने वस्त्र पहन लिया। जैसे आप घर से बाहर वस्त्र पहनके निकलते हो ना, ऐसे आत्मा को भी वस्त्र पहना के निकलो तो बुरी सोल अटैक ही नहीं कर पाएगी। समझ में आया? अपने बच्चों को भी कराना है, क्योंकि आने वाली स्थिति ऐसी है, जो सब तांडव करेंगे, बूढ़े, जवान, जो भी है। ऐसा होने वाला है। फिर मत कहना हमें बताया नहीं। क्योंकि कुछ आत्माओं के अंदर ताकत होती है कि उनको कंट्रोल करे, पर कोई इतनी ज्यादा फोर्स में आती है, तो कंट्रोल करने से बाहर हो जाते हैं कभी-कभी।

बाबा यह मोबाइल बहुत चलाती है रात को।

तो उन्हीं के द्वारा पकड़ती है आत्माएं। याद रखना हम सच बोल रहा हूँ। रात को 9 बजे के बाद अगर किसी ने टेलीफोन चलाया तो मोबाइल के द्वारा ही जकड़ में आएंगे। फिर बोलना मत। यह दिमाग में डालना 9 या 10 बजे के बाद किसी ने फिर खोलना शुरू किया। ये बच्चे... बच्चों को विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि रात में उनका प्रभाव बहुत ज्यादा होता है। इतना प्रभाव होता है तो फिर दिमाग काम करना बंद करता है।

बाबा की वाणी तो सुन सकते है ना बाबा?

हाँ, फिर भी 10 बजे के बाद नहीं। याद रखो 10 बजे के बाद साइंस के साधन से दूर रहो....., बार-बार बोल रहा हूँ...। रात के 10 बजे के बाद साइंस के साधन से दूर रहो, नहीं तो मेंटल होने के फूल चांस है- यह ध्यान रखना। यह ध्यान रखना। यह सब जो भी है, चाहे अज्ञानी है, चाहे ज्ञानी है, चाहे बच्चे हैं, चाहे समर्पित है, चाहे सेंटर पर रहने वाले हैं, कोई भी है। 10 बजे के बाद कुछ अच्छी से अच्छी चीज भी नहीं सुनना है। चाहे कितनी भी अच्छी चीज हो। आपको 10 बजे के पहले जो करना है करो। उसके बाद आपको अमृतवेले मुरली के बाद अपने हाथ में आपको जो सेवा अर्थ जो भी करना है वह करो। सुधर जाओ। इतना स्ट्रिक होकर के कह रहा हूँ जरूर कुछ पीछे कारण होगा,नहीं तो फिर हमें मत कहना कि बाबा ऐसी स्थिति में फँस गए। क्योंकि बहुत पावरफुल तरीके से नेगेटिव ऊर्जाओं का तेजी से, स्पीड से आ रहा है। और यह सबसे पहले जो साइंस... और बहुत बच्चे साइंस के साधन द्वारा पकड़े गए हैं। बहुत बच्चे ऐसे हैं, जो साइंस के साधन के द्वारा रात को पूरी रात जाग कर, क्योंकि आपके बगल में लेट करके वह जो आप देख रहे हैं ना वह सब देखती हैं। याद रखो। डराने की बात नहीं है, समझाने की बात कर रहा हूँ। वह आपको पता ही नहीं चल रहा है कि आपके यहाँ कान लगा करके कौन आपके साथ फोन देख रहा है? (छोड़ने ही नहीं देती बाबा वो) तो यह आपको यह इतना प्रभावित करेंगी, देखते जाओ, देखते जाओ, देखते जाओ, देखते जाओ। आपकी उंगली आप नहीं चला रहे हो, आपकी उंगली पड़कर वही चला रही है, वही चला रही हैं। आप सोचो यह एकदम 100% नहीं 200 परसेंट सत्य है ये। याद रख लो, नहीं तो ऐसी बुरी हालत होगी, फिर रोना बैठ करके। कोई इलाज नहीं। इसका कारण क्या है? एक बार पकड़ में आ गए ना आप, फिर ना आप हाथ पैर मारना, सिर फोड़ना फिर छूटने वाले नहीं है। ठीक है। यह चीज ध्यान रख लेना। हाँ, फिर बाबा भी नहीं बचा सकता। आज बाबा बता रहा है क्योंकि जब आप लेटते हो ना, उनका प्रोसेस चालू होता है 10:30 के बाद, मतलब अब यह मत सोचना 10:30 तक फोन चलाना है। बिल्कुल गलत है। 10 बजे के बाद छूना भी नहीं है, क्योंकि 10 और 10:30 बजे के बाद आपको नींद आने में, थोड़ा सा समय चाहिए। आप सो गए ना, आप बाबा के पास चले गए। जो पहले सो जाए तो बहुत अच्छी बात है। अगर आप 10 बजे सो गए ना, तो आप ऊर्जा तुरंत निकल करके बाबा के पास चार्ज होने के लिए पहुँच गई है। और आप जाग रहे हो? आप भूतों के राज्य में जागोगे तो भूत नहीं पकड़ेंगे तो कौन पकड़ेगा बताओ? पूरी अंधियारी रात, भूतों का राज्य चलता है, तांडव चलता है। उस रात में आप जागते रहोगे तो भूत नहीं पकड़ेंगे तो कौन पकड़ेंगे? सोचो आप, ध्यान रखना इस चीज का। यह जो प्रभाव है ना, यह बहुत परेशान करेगा आगे चलकर।

बाबा अमृतवेला करके मुरली सुन सकते है?

चार से पाँच पूरा साइलेंट में बैठो आप। फिर नहा धो करके "ॐ" का उच्चारण करो। फिर आप मुरली सुनो। क्योंकि आप फुल चार्ज होकर के आए हो, फुल बैटरी की और उठते ही आपने 5G स्पीड में इंटरनेट चलाना शुरु किया। तो आपका तो 7-8 बजे इंटरनेट खत्म हो जाएगा! समझ में आया? एक आपको हम उससे जोड़ रहा हूँ। पूरी रात आपने बैटरी चार्ज की, उठते ही आपने अपनी कर्मेंद्रियों से फुल फोर्स में काम लेना शुरू किया, आँखों से तुरंत मोबाइल देखना शुरू किया, कान से तुरंत सुनना शुरू किया, वाणी में तुरंत आ गए, तो आपकी तो छे, सात, आठ बजे तक डाउन!! फिर आपको फिर से नींद चाहिए, फिर से नींद आएगी आपको, फिर से आपको सोना चाहिए, फिर से आपको ऊर्जा लगेगी।

बाबा 3 बजे एक बार हम योग कर रहें थे, तो मेरी गली में ऐसे ऐसे खूब रोने की चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी रोने की- कहाँ चले गए... कहाँ...? तो हमने सोचा पीछे गली में किसी ने शरीर छोड़ दिया है, तो "ॐ" करके उसको साकाश दे रहे कि जो शरीर छोड़ा उसको शांति मिले। फिर सुबह उठे तो पूछा किसने शरीर छोड़ दिया? तो सब बोले किसी ने नहीं छोड़ा!! यहाँ कहाँ शरीर छोड़ा? कोई भी शरीर नहीं छोड़ा था। और पता नहीं बाबा आवाज इतनी तेज!!...

इसलिए ध्यान रखो बच्चों। आप अपनी ऊर्जा को सेव करो। इसलिए जो सन्यासी होते हैं ना, तपस्या करने जाते हैं, मुख का मौन,आँख का मौन, कान का मौन। करके देखो। (वाणी में भी कम आए तो अच्छा।) हाँ!! वाणी भी कम सुनना भी कम, आँख से देखना भी कम।

तो बाबा साकाश नहीं दे उनको?

साकाश सार्वजनिक दो ना। यह भंडारा सार्वजनिक करो। पर्सनल किस लिए करना है। नहीं नहीं नहीं, नहीं यह साकाश देने का सब पकड़े हुए हैं। साकाश सार्वजनिक देना है।देखो आप ना सबको समान रूप से समझो। अगर आप ऐसे सोचेंगे नहीं हम मुक्ति देंगे, मुक्ति देंगे, तो आप कभी शांति से खा भी नहीं सकते, पी भी नहीं सकते, सो भी नहीं सकते। फिर वह आप सो रहे होंगे, तो वो आपको मारेंगी - उठो हमें मुक्ति दो। ऐसे ही होता है ना। सुनो सुनो पूरी बात करने दो। यह सबके लिए हम बोल रहा हूँ। तो आप खा रहे होंगे तो वह आपका दिमाग खराब करेंगी- चलो छोड़ो हमें मुक्ति दो। आप सो रहे होंगे तो आपको सोने नहीं देंगी- मुक्ति दो। तो आपको वह परेशान करके रखेंगी। आपका खाना, पीना, सोना, सब हालत खराब हो जाएगी। तो आप टाइमिंग फिक्स करो ना अपने योग का। एक घंटा, और सब ऊपर आ जाना ग्लोब पर, वहीं पर मिलूँगा।अपना ऑफिस अलग बनाओ। क्या बोलते हो? आप जहाँ देखो... मैं अपने कमरे में हूँ- आ जाओ मुक्ति देता हूँ। बाथरुम में नहा रहा हूँ, या फिर मैं कमरे में कपड़े बदल रहा हूँ, आ गए कहीं भी- मुक्ति दोगे! यह तो ऐसे ही हो गया ना। मेरे पर्सनल घर तक पहुँच गए!! खाना खा रहा हूँ- मुक्ति दोगे? सो रहा हूँ - मुक्ति दोगे? ऑफिस को आप घर में लेकर आ गए, तो आपकी तो बैंड बजेगी ना। सीधे ऑफिस को कहाँ ट्रांसफर करो? ग्लोबल पर अपना टाइमिंग के साथ वह भी। जैसे किसी क्लीनिक का टाइमिंग होता है, या किसी चीज का टाइमिंग होता है ना। इतने बजे से इतने बजे तक खुला रहेगा दरवाजा, उसके बाद बंद। मुक्ति देने का रोल भी.... मनसा सेवा का टाइम फिक्स करो, ठीक है। और आप कहीं पर भी हो, चाहे ट्रेन में हो, चाहे बस में हो, चाहे सफर में हो, आपका टाइम हुआ आप तुरंत ऑफिस खोलो पहुँच जाओ ऊपर, और योग करना, बैठना, मनसा सेवा करना, शुरू करो। ऑफिस को घर में लेकर आएंगे , तो ना नहा पाएंगे, ना सो पाएंगे, ना खा पाएंगे, ना कुछ कर पाएंगे। इसलिए पूरा कवच और टाइमिंग लगा दो, क्योंकि इनको भी टाइमिंग का पता है, यह भी टाइमिंग देख करके आती है, कि भई इतने से इतने बजे तक मैं आऊँगा। नहीं तो बीच में गए तो फिर अगर आपने पूरा ही खुला दरवाजा कर दिया, जब मर्जी आओ मैं तैयार बैठा हूँ, तो फिर आप गए। फिर आप गए!! क्योंकि वह तो मंडराते रहते हैं। अभी किसी को कहो आपका मॉल 24 घंटे तक खुला रहेगा, तो फिर आप बोल सकते हो क्या? वो तो घुस जाएंगे अपनी गाड़ी लेकर के, चाहे आप आराम करो, चाहे कुछ कर रहे हो । करने ही नहीं देंगे।

बाबा वह गांव में ही पापा ने छोटा सा बनाया हुआ है आश्रम तो अब मैं क्या करूं? वहीं पर रहूँ या सेवा में लागूँ क्या करना चाहिए मुझे नहीं मालूम?

आपको क्या करना चाहिए, आप क्या चाहते हो? (दिल है मेरा तो कि मैं बाबा के लिए सेवा करूँ) दिल तो है पर डर निकालो पहले। क्योंकि हम आपके मन को और आपके दिल को समझ पा रहे हैं। यह जो डर है ना, यह जो पहले का डर बैठा हुआ है, जो उसको आप जब तक निडर हो करके... (वो थोड़ा सा वह करते हैं....) वही बोल रहा हूँ, वही डर निकालना है। कंफ्यूज नहीं हो। एकदम से डिसीजन लो। इतने साल सेंटर पर रही हो बच्ची, और उसके बाद भी आपने लौकिक घर में छोटा सा सेंटर! इतने से सेंटर में नहीं आपको पूरा अच्छे से चारों तरफ घूम के सेवा करनी है। ठीक है। ऐसी जगह नहीं रुकना है कि बस एक ही जगह रुक जाना है। नहीं। और जब तक डर नहीं निकालेंगी तब तक कुछ नहीं कर पाएंगी। समझ में आ रहा है? डर पे जीत पाओ पहले। उसके बाद फिर बाबा से अगली बार पूछना तो हम आपको पक्का डिसीजन दूँगा। ठीक है। पहले डर पे जीत पाओ, निडर बनो। यह मत सोचो कि मेरी कुछ कमजोरी उनको पता होगी। नहीं...। मेरे बाबा को पता है ना, जिसको जो करना है करो। उस डर पे जीत पाओ। समझ में आ रहा है? आज मोस्टली बच्चियाँ इसी चीज से परेशान है। कुछ ना कुछ कमजोरी हाथ में किसी के लगती है, बस उसी चीज को लेकर के ब्लैकमेल किया जाता है, या कुछ ऐसे किया जाता है। अरे इस धरती पर आए हैं, भूल गलतियाँ होकर के। आगे बढ़ना सीखो। पीछे क्यों जाना है? आगे बढ़ो! ठीक है। तो अपने मन को पहले मजबूत करेंगी ना, तभी छूट पाएंगी डर से। आपके जैसी बहुत बच्चियाँ है। बहुत बच्चियाँ बेचारी घर में बैठकर रो रही है, इंतजार कर रही है। आना चाहती है, पर डरी हुई है। कोई बात नहीं, सब अच्छा होगा देखना।

बाबा रतन मोहिनी दादी चली गई उनके बारे में कुछ बताइये ना।

अच्छा उनके बारे में मैं क्या बताऊँगा? अब कोई धणी धोणी है नहीं। (लास्ट दादी थी ना) हाँ, कोई धणी धोणी है नहीं। अब जो होगा सब देखेंगे। हम भी देखेंगे, आप सब भी देखेंगे। तो हम किसी को कुछ बोलूँगा नहीं। नहीं तो बच्चों को फिर प्रॉब्लम होने लगती है, कि बाबा आप तो बीके के लिए अच्छा बोलते नहीं हो। हम कहूँगा हम बीके के लिए नहीं, हमारे बच्चे हैं। जो यहाँ रह करके गलत करेगा हम उसको भी छोडूँगा नहीं- ये याद रखना।

हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है, वह अपने बच्चे हैं। शुरुआत तो क्या हुआ? नाम भले रखा, पर अब वहाँ जो जैसा होना चाहिए, वहाँ नहीं है। यह बस एक चीज पसंद हमें नहीं आई। दो चेहरे!! मुखड़े पर कुछ, और दिल में कुछ। ये दो चेरे वाले फेस बड़े खतरनाक होते हैं। डबल फेस! पीछे से कुछ, और अंतरात्मा कुछ। यहाँ मुखसे मीठा यहाँ दिल में कड़वा। इसीलिए हम आपको सिर्फ एक ही चीज कहूँगा, देखो हमारे सामने बहुत बच्चे ऐसे आते हैं, मुख और वाणी दोनों अलग होती है, दिल और वाणी, पर फिर भी हम उनसे प्रेम करता हूँ। क्यों? क्योंकि हम जानता हूँ आज नहीं तो कल, यह कभी ना कभी तो हमारा, बाबा का, प्यारे बाबा का दीवाना होगा ही होगा। तब इनकी... आज नहीं तो कल दोनों मैचिंग होगी। ट्यून तो जरूर मिलेगी एक न एक दिन। दिल और वाणी की ट्यून तो जरूर मिलेगी एक ना एक दिन। इसलिए हम भी उनकी कमी कमजोरीयों को ऐसे रफा दफा- जाने दो बच्चों, जाने दो। पर ऐसा नहीं है कि मालूम नहीं है। ऐसा नहीं है कि हमें पता नहीं है। ऐसा नहीं है कि सुनते नहीं है। अरे बुद्धूओं जब इविल सोल बैठकर आपका फोन सुन सकती है, तो हम तो फरिश्ता हूँ, तो आपके पास बैठके क्या नहीं देख सकता? इतना तो सोच सकते हो ना? जब बुरी आत्माओं को इतनी परमिशन है, तो हम तो....! आप क्या वाणी से उच्चार रहे हो, और ध्यान रख लेना कि मैं यहीं बैठा हूँ। इस चीज को याद रखना। (बाबा अब तो राजा हो फरिश्तों का) तो इसलिए कहता हूँ। तो यह मत कहो कि बाबा को कुछ पता नहीं चलता। ना...! क्योंकि आपसे हमने सीख लिया है। क्या? कि हमें भी प्यार ही करना है। दिल में कड़वाहट नहीं है, मतलब दिल में हमें सब कुछ पता है, पर हमें प्रेम करना है- यह हमने भी सीखा है बच्चों से। क्योंकि बच्चे हमारे साथ ऐसा चलते हैं, तो हमने सोचा चलो हम भी ऐसे चलते हैं। जैसे आप चाहते हो हम भी ऐसे चलेंगे। है ना। तो इसलिए बस एक चीज याद रखो, दिल और जुबान दोनों एक हो। अगर दिल में परेशानी है, तकलीफ है, कड़वाहट है, तो भी बोल दो- बाबा मुझे इस बात से परेशानी है, मुझे इस बात से कड़वाहट है। पर यहाँ जुबान से नहीं और फिर कहीं और निकले यह चीज सही नहीं है। है ना। अगर दिल की कड़वाहट.... आप जिस किसी से कड़वाहट है, प्रेम से उसके सामने बैठकर बोल दो, कि यह चीज हमें प्रॉब्लम है। और अगर यह हमारी कमी है, तो हम इसको बदलेंगे। बाबा आप हमें बताओ इसको हम चेंज करेंगे।
(बाबा मैं तो चाहती हूँ आप मेरी कमजोरी को बताना ) नहीं, नहीं, बिल्कुल भी नहीं बताऊँगा। नहीं। आपको मालूम है आत्मा एक इतनी पावरफुल चीज है, उसको अपनी कमी कमजोरी का अपने आप पता होता है। यह चीज याद रखो।

फिर मिलेंगे....

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