ॐ...'पिताश्री'शिवबाबा याद है?10-10-2019शिवबाबा की वाणी
बाबा ने तीसरा रथ क्यों लिया

ब्राह्मण जीवन खुशियों का जीवन है , मौजों का जीवन है , खुशि जैसी खुराक नही , क्योंकि समय तो परिवर्तन होंगा ही ! समय भी परिवर्तन होंगा , स्थान भी परिवर्तन होंगा , आत्माए भी परिवर्तन होंगी , पर क्या खुशी परिवर्तन होंगी ? होंगी ? नहीं होनी चाहिए । क्यों ? क्योंकि बाप कभी परिवर्तन नहीं होंगा । और जिन बच्चों को बाप से दिल से प्यार है ना..., दिल से प्यार है ! उन बच्चों का खुशी कभी नहीं जाएगा ।

अच्छा - कुछ भी बच्चों के मन में है तो बाप से पूछे । (किसी भाई ने प्रश्न पूछा- "बाबा हम को बोलते हैं कि मधुबन छोड़कर आप कहीं नहीं आ सकते तो...?") बापने तो सभी बच्चों से प्यार किया है ना ! आपको कुछ भी पता लगे कि आपका बच्चा कहां-कहां कैसी परिस्थिति में है और आपकी बहुत ऊंची पोस्ट है , तो आप उस समय क्या सोचेंगे ? क्या सोचेंगे? और ये बेहद का बाप है ! मधुबन छोड़के कहीं नहीं आएंगे ये बाप ने कोई वायदा नहीं किया है । बाप का कार्य जब तक पूरा नहीं हो जाता , बाप ने कभी भी ब्रह्मा तन में आके कभी भी किसी बच्चे को , गुप्त में या अप्रत्यक्ष में कहा कि, अभी बाबा अभी दादी के तन में आएंगे या उस बच्ची या उस बच्चे के तन में आएंगे , कहा ? कोई भी मुरली में कहा ? नहीं कहा ! क्योंकि बाप को पता था अगर पेहले ही बच्चों को मैसेज पहुंच जाएंगा तो बहुत बच्चे छोड़के चले जाएंगे । भल गए ....। धीरे-धीरे समय परिवर्तन हुआ । सिर्फ ये दिखाने के लिए कि, बाप का कार्य किसी भी बच्चे के कारण नहीं रुक सकता । और ये बाप का कार्य नहीं है । सतयुग आप बच्चों के लिए बन रहा है।


अच्छा - कराची से पहले मधुबन था ? कब बना ? बाद में बना ना ! बाबा का आगमन तो कितने स्थानों पे हुआ है , वो भी मालूम है । मधुबन की महिमा तो निराली है ! क्योंकि मधुबन तो ब्रह्मा बाप की कर्मभूमि है । कर्मभूमि है ! हर बच्चे ने मेहनत किया है तो वहां का स्थान कैसे छोड़ सकते हैं ! मधुबन को नहीं छोड़ा है , सिर्फ बाप उन बच्चों से मिलने के लिए आते हैं जो बच्चे आज तक बाप के सन्मुख नहीं आ सके। मधुबन में नहीं मिल सके, और सभी बच्चों के लिए । तो खुशी होनी चाहिए, मेरा बाबा आया है ! पूछो ! पूछो !


(बच्चों ने बाबा से पूछा - समय के अनुसार पार्ट चेंज हुआ है तो आगे की सेवा को कैसे... मतलब बढ़ानी है?)

देखो समय के अनुसार पार्ट परिवर्तन हुआ है और बाप ने शरीर परिवर्तन किया है । और समय के अनुसार सेवा भी बढ़ रही है , बढ़ेंगी भी । अभी तक जो बाप ने बच्चों को कार्य दिया था , बाप को हर जगह प्रत्यक्ष करना है , पूरा हुआ ? हुआ? तो बाप क्या करेंगे , मधुबन से आएंगे या नहीं आएंगे ? आप ने जब मैसेज दिया , बाप को प्रत्यक्ष करना है, चारों तरफ करना है । तो बात बीचमें ही रहती थी। ब्राह्मण बच्चे बनके भी आलस अलबेलेपन में आ गए । त्रेता की प्रजा कैसे बनेंगे ? ऐसे....! ऐसे बनेगी ! नहीं... मेहनत से बनेंगी । राज्य करना है आप बच्चों को , तो मेहनत किसको करनी पड़ेगी ? बच्चों को करनी पड़ेंगी ना! पार्ट पहले स्थापना का , फिर सतयुग की राजे , प्रजा का और अभी अंतिम पार्ट कौन सा है ? (त्रेता युग की संख्या) । तो वो कैसे बनेंगे ? अच्छा बन गई ? बताओ ! अगर बन गई हैं तो फिर से बाबा मधुबन में जाके बैठ जाएंगा । बनी है ? जो बाप से वायदा किया था - बाबा विश्व के कोने-कोने में झंडा लहराएंगे । पूरा हो गया ? हो गया ? तो फिर क्या करना चाहिए ? आज सभी बच्चे मेरे एरिए में , तेरे एरिए में फंस गए हैं । ये मेरा एरिया है , आप उस एरिए के स्टूडेंट हो, और मैं उस एरिया के स्टूडेंट हूं ।आप अपने एरिया का सेवा करेंगे , हम अपने एरिये का सेवा करेंगे । क्या ऐसे बाप प्रत्यक्ष होंगा ? होंगा ? फिर कैसे होगा ? बाप ने सभी को एकता का पाठ पढ़ाया , कि पूरा विश्व एक परिवार है । तो आप बच्चों को कौनसा पाठ पढ़ाया ,कि इस एरिया के स्टूडेंट ही आपके भाई बहनें हैं । दूसरे एरिये के स्टूडेंट दूसरे एरिए में सेवा करें । और आप बच्चों ने कौन सा पाठ पढ़ा ? बापने कहा बेहद की सेवा करो हद कि नहीं करो । ब्राह्मण बच्चियाँ बच्चे भी हद में आ गए । मेरा एरिया तेरा एरिया । ये बाप ने सिखाया ? सिखाया ? बाप की श्रीमत है, कि इस एरिया में और उस एरिया में ? प्रत्यक्ष प्रमाण है । सभी बच्चों के सन्मुख है । सभी बच्चे देख रहे हैं । तो बाप की प्रत्यक्षता कहां से हुई ? बात..... सभी बच्चे इसी पर अटकते हैं कि , बाबा आपने तो मधुबन के लिए कहा था , नहीं छोडूंगा । बाप को बच्चों पर विश्वास है कि चारों तरफ बाप का ध्वज लहराएंगे । लेकिन जो एरिया है ना एरिया वो सभी के हाथ पकड़ लेता है । एरिया पकड़ता है ना ? तो अभी क्या करेंगे । वही एरिया तोड़ना है ,और जब एरिया टूटेंगा तब बाप की प्रत्यक्षता चारों तरफ होंगी । आप बच्चे कहां दूसरे एरिया के स्टूडेंट को वी अपने पास बुलाने से डरते हैं । क्यों डरते हैं ? क्यों ? कोर्स कराने से डरते हैं क्यों क्योंकि बहनजी , दीदी नाराज नहीं हो जावे । कहां इनकी दीदी नाराज नहीं हो जावे। किस को खुश करना है ? बाप से बड़ा कौन है ? दीदी है ? ये ब्राह्मण परिवार कैसे बना ? कैसे बना ? बाप नहीं होते तो परिवार तैयार होता ? होता ? बाप ने कितनी सुंदर बगिया बनाई, और फिर एरिया में बट गया । और इस समय बाप आएं हैं , सबसे पहले एरिए को तोड़ने । सेवा की प्रक्रिया ये है । सबसे पहली प्रक्रिया । अगर चारों तरफ , उन बच्चों तक संदेस पहुंचाना है, जो बाप के लिए तरस रहे हैं, जिनको अंदर एंट्री भी नहीं है , जो मेहनत करती हैं , जो भोली भोली माताएं हैं , हर कर्म में बाप की याद है। क्या उनको मिलना चाहिए ? देखो... वही माताएं कैसे बाप का झंडा लेके, वही बच्चे कैसे बाप का झंडा लेके, भारत के कोने -कोने में घूम जाएंगे । फिर एक बार शिवरात्रि नहीं होंगी फिर हर दिन शिवरात्रि होंगी , हर पल शिवजयंती मनाई जाएंगी , हर वर्ष शिव जयंती मनाई जाएगी । और जब वो बच्चे बापसे मिलेंगे तो आप बच्चों को कितनी दुआएं देंगे । सेवा की प्रक्रिया- मेरा स्टूडेंट, मेरा सेंटर, मेरे बच्चे ,सबसे पहले ये टूटे । उसके आगे सेवा बढ़ेंगे । ये कोई श्रीमत नहीं है, कि आप बच्चे कहीं भी जाते हैं , अगर किसी दूसरे सेंटर पर सेवा करने चले गए तो.... तो फिर क्या होगा ? बाप ने कहा आपने को आत्मा समझो । आत्मा.....! पार्ट पक्का है ? आत्मा का पाठ ,पहला पाठ पहली क्लास का पाठ पक्का ही नहीं है तो.....! जहां मेरा , हद का मेरा आ गया वहां सोचो , आत्मा का पाठ पक्का नहीं है । और जहां बेहद का मेरा आ गया वो बच्चा कहलाएंगा के विश्व मेरा परिवार है , और विश्व एक ही परिवार है । जो सभी नारा लगाते हैं ना , कि विश्व एक परिवार है , तो अब उस परिवार को एक करके दिखावे। एक परिवार करके दिखावे । ये सेवा की प्रक्रिया है । ये नहीं सोचे मधुबन क्यों छोड़ा । ये सोचे कि बाप को मधुबन छोड़ना पड़ा । कारण क्या है ? कारण वो कारण के बाप का पहला वायदा है ना , के साथ रहेंगे संगम युग पर और साथ चलेंगे परमधाम में । अगर बाप को साथ नहीं चलना होता , तो बाप को शरीर की आवश्यकता नहीं थी अव्यक्त तो ब्रह्मा बाप के बाद भी हो चुके थे ना । तो फिर बच्ची का शरीर लेने का आवश्यकता नहीं था ना । साथ चलना है ना ! ये डायरेक्ट बाप का वायदा है । भल बच्चे अपना वायदा भूल जाते हैं , पर बाप कभी अपने वायदे को नहीं भूलता है । साथ रहेंगे , साथ चलेंगे ! दूसरा बात , जो बापकी प्रत्यक्षता का नगाड़ा सभी बच्चों ने मिलके बोला था कि बाबा हम करेंगे उसका क्या हुआ ? पूरा नहीं हुआ ना ! अभी एक और बहुत अच्छी..... बच्चों को कहें पूरे भारत का एक-एक कोना मधुबन होने वाला है । एक-एक कोना मधुबन होने वाला है ! हर कोने में मिनी मधुबन होंगा , और छोटा नहीं होंगा बड़ा होंगा , और कोई भी बच्चा ये नहीं सोचे कि, टीचर दीदी आएंगी । ये मिनी मधुबन ,अभी आप बच्चे तैयार करेंगे हर कोने में और ये सेवा चारों तरफ फैल चुकी है । अभी आप अपने आप को नहीं देखो, चारों तरफ है... सबसे पहले डर । जो इतने समय से डर है ना अंदर- दीदी क्या कहेंगी ? मधुबन वाले क्या कहेंगे ?


एक बात कहें - जब मधुबन वाला बाप ही साथ हो गया तो फिर दीदी क्या कहेंगे । हां सभी बच्चे सेवा करो सेंटर पे जाओ । मुरली कभी मिस नहीं करना है, और कभी-कभी करते थे पहले , अब उसको भी पक्का कर लो । इतना पक्का करो कि दीदी कहे कि आपमें ये परिवर्तन कहां से आया है ? ये तो पक्का करना है । ये श्रीमत कभी नही छोड़नी है। और ऐसा नहीं है कि एक साल का नियम पक्का करेंगे तो बाप से मिलाया जाएंगा । ये बाप के पास अब इतना समय नहीं है । आत्मा का परमात्मा का ज्ञान देवें , क्योंकि त्रेता.... त्रेता युग की प्रजा कोई 7 दिन का कोर्स नहीं करेंगे , उनको आत्मा और परमात्मा का ज्ञान काफी होंगा । और बाप ने कहा है , किसी ने एक वार भी मुरली सुनी तो वो त्रेता युग की प्रजा में फिट है सेट है । तो अभी देखो सेवा आसान है, थोड़ा सा परिवर्तन आया है । आत्मा और परमात्मा का परिचय । क्योंकि आज समय किसी के पास नहीं है ।अगर आप जबरदस्ती कहेंगे कि आप 7 दिन का कोर्स करेंगे तभी मुरली सुनाएंगे । तो ऐसे तो आज साइंस का साधन इतना तरक्की पे है , अगर आप 7 दिन का कोर्स वी नहीं कराएंगे , तो वी मुरली पढ़ लेंगे । तोड़ो ये ! ये जो बच्चों को तड़फ़ाने वाले कर रहे हैं । सोचो अब जब मेरा बाप इतना पास आया तो मुझे क्या करना है । मुझे अपने बाप से उन तड़फती हुई आत्माओं को मिलाना है । जो इतने साल तक मधुबन में भी नहीं पहुंची । कारण अकारण कुछ भी बना है । इतना प्यार है फिर भी बाप से नहीं मिली । एक.... बुद्धि में एक बात को फिट करो - वो ज्ञान किसी काम का नहीं है जो अपने बाप को पेहचानने से इंकार करें । वो ज्ञान नहीं है, क्योंकि ज्ञान ये है । पहला ज्ञान कि मेरा बाबा , किसी वी कोने में आए , कैसा भी शरीर धारण करें , पर मेरे अंदर इतना ज्ञान है, कि मैं अपने सच्चे साथी को पहचान लूंगा । मेरे अंदर उसके लिए इतना प्यार है कि, मैं अपने बाप को दुनिया की कहीं भी, किसी भी, भीड़ में पेहचान लूंगा। यही ज्ञान के साथ सच्चा प्यार है ,और यही प्यार आप सभी बच्चों को विश्व के आगे प्रत्यक्ष करेंगा । कोई बच्चे कहते हैं - हो ही नहीं सकता । तो भगति मार्ग वाले थोड़े ही हो , कि हो ही नहीं सकता , कि ये मेरा मंदिर है इस मंदिर का भगवान इसमें ही रहेंगा और ,आपके मस्जिद का भगवान आप में ही रहेंगा । ये किसने... किसने तैयार किया है ? आपने ? कि हम सिर्फ आपके गुरुद्वारे में ही आएंगे मंदिर में नहीं आएंगे । बाप को पेहचानो उसके शक्तियों के साथ पेहचानो , कि सर्वशक्तिवान ने अगर ड्रामा रचा है, तो इतना वी तो नहीं रचा ना , कि पूरी फिल्म की जो रील है ,कमजोर कड़ी है वो अपने हाथ में नहीं रख सके । यह छटनी है कोई मैं वी कोई और कोटों में भी कोई की छठनीं है । अपने आपको इतना महीन बनाओ कि आप बारीक से बारीक छन्नी से भी बाहर आ जाओ । एकदम प्योर होके, खरा सोना बन के । बाप ये नहीं कहते कि सेंटर नहीं जाना है । भल जाओ , जाना ही है, क्योंकि हर एक सेंटर बाप का बनाया हुआ है ।बापका घर है मुरली तो ब्रह्मा बाप के मुख द्वारा सुनाया हुआ एक अमृत है । अभी बाप मुरली नहीं सुना रहे हैं, क्योंकि मुरली तो आप बच्चे रोज सुनते हैं। अभी बाप ये केहने आए हैं- चारों तरफ बाप की प्रत्यक्षता करो । आप बच्चे सभी को अज्ञानी बच्चों को इतना ज्ञान सुनाते हैं कि भगवान आ चुका है । भगवान को इतना समय आ गए हुआ है । अगर वो अज्ञानी बच्चे कहे हमें भी भगवान से मिलाओ तो आप क्या कहेंगे - नहीं ...नहीं.... ! भगवान का काम पूरा हो गया और अभी वो जा चुका है , अभी वो मधुबन में नहीं आता । ऐसे कहेंगे ? ऐसे ? फिर ये तो क्या हो गया ? ये तो बोलते हैं ना , भगवान ने भी हमारे साथ धोखा किया ! जब हमें ज्ञान मिला समझ मिली और वो चला वी गया । ये कहेंगे ।


(जहाँ सेंटरों में जाते हैं ,वो तो हद्द में फंसे है बाबा) 
तो बेहद में आना है ना ! कौन फंसे हुए हैं , उनको निकालो । टारगेट नहीं बनाओ कि बहन जी आएंगी तभी सब निकलेंगे । ये तो फिर आप भी पीछे रहेंगे बहन जी भी पीछे रहेंगे । हद से, पेहले अपने आप को निकालो । आपके पीछे पूरी लंबी क्यू लगी हुई है । आपका एक कदम और पुरी बेहद की सेवा। आपका एक कदम ! अभी आप सोच लो । अपने आप को , अगर आप सोचते हो कि मैं अकेला क्या करूंगा ? नहीं !


(जब वहां सेंटर पर दीदियों को पता लगेगा कि हम वहाँ जाते है बाबा को मिलने के लिए तो वह तो हमें बोलेंगे ही उस समय हमें कैसे करना है ?)
क्यों नहीं बोलेंगे !
(बच्चों ने पूछा - उस समय हम कैसे जवाब देंगे ?)
देखो सबसे पहली बात की बाप ये श्रीमत नहीं देंगे कि उनसे झगड़ा करो । साइलेंट रहो, अपना कार्य करते रहो, शांत रहो ,क्योंकि आप जितना समझाने की कोशिश करेंगे उतना ही फिर आप को सुनना पड़ेंगा, और सुनाना पड़ेगा ,और समय वेस्ट होंगा ,आपका एनर्जी वेस्ट होंगा । अपनी एनर्जी को सेव करो और समय प्रमाण जब सब कुछ सामने आ जाएंगा । देखो बाप यही कहते हैं जितना गुप्त रख सकते हो रखो ,अपने आप आने दो सामने आप नहीं , आप सामने नहीं आओ । समय अपने आप खोल देंगा। फिर वो आपके तरफ से गलती नहीं होंगा । और ये तो है , हर कोई कहेंगा लेकिन साकार में क्या होता था ? याद करो बैठो , पूरा बुद्धि में रील घुमाओ । अगर साकार में बच्चे लोक लाज मर्यादाओं को देखते , तो आज इतना बड़ा यज्ञ स्थापन नहीं होता । अभी परीक्षा- पहले परीक्षा संसार की तरफ से थी ,अब उल्टा हो गया है ।अभी परीक्षा कहां से आएंगी ? अपने ही अलौकिक परिवार से आएंगी । उसमें भी शांत रहना है ,ये सोचना है , ये मेरे भाई हैं , रेहम की दृष्टि करनी है । ठीक है , लेकिन जितना.... जितना गुप्त रह सकते हो अभी रहो । अपने आप समय को प्रत्यक्ष करने दो । 


(बच्चों ने पूछा -अभी जहाँ मुरली सुन रहें ,वहीं जाके सुनेंगे ना ? )
सुनेंगे ना.... बाप का घर है वहीं पे ही मुरली सुनो । परिवर्तन कुछ नहीं करना है । जो है उसको चलने दो । परिवर्तन एक चीज का करना है किसी भी एरिए में जाओ एरिया को तोड़ो । मेरा एरिया तेरा एरिया में नहीं बंधना है । हां ! तो एरिया में नहीं बंधना है । तो अभी एरिए को तोड़ो । अगर कोई कहते हैं कि यहीं पर मुरली सुनों , तो कहो प्यार से - दीदी बाप तो बेहद का बाप है ना , एक एरिए का बाप थोड़ी है । इसीलिए बाप ने किसी भी सेंटर को नहीं चुना अगर बाप चाहते तो बड़े से बड़े सेंटर पे बैठ सकते थे ना । क्यों नहीं चुना ? क्योंकि अगर बाप बैठ गया तो फिर वो कहेंगे के हमारे एरिया का बाबा है । परमिशन लेना पड़ता । अभी ये हमारे एरिया में आ गया है । इसलिए बाप सभी से दूर , और सभी एरिया से दूर आके बैठ गया । इस समय सभी बाप के हैं , और बाप सबका है । एरिया का बाप नहीं है । सभी एरिए के बच्चे बाप के बच्चे हैं । पहले यह ज्ञान - कहीं भी आ सकते हैं कार्य करा सकते हैं , पर सर्वव्यापी नहीं हो सकते हैं । लेकिन एक चीज विशेष अटेंशन - कभी बच्चे ये नहीं सोचना कि, अभी तो बाप ने गुलजार बच्ची का तन लिया फिर एक और बदल लिया, क्या बाप बदलता ही रहेंगा ? नहीं ! अब ये अंतिम है । बाप क्या है - त्रिनेत्री है ना ! त्रिकालदर्शी है ना! त्रिलोकीनाथ भी है त्रिमूर्ति भी है ना! तो दो रथ कैसे लेंगे ? एक वो जो गुप्त है ।


(किसीने बाबा से दूसरी दूसरी पार्टियों के बारे में पूछा)

वो भी बच्चे अपना कार्य कर रहे हैं । उनको भी हम ये नहीं कहेंगे कि वो गलत है । वो भी सेवा ही कर रहे हैं ना ! वो भी तो बाप का परिचय ही दे रहे हैं । जिन बच्चों को निष्कासित किया छोटी-छोटी गलतियों पे उन्होंने अपना पार्टी बना लिया । वो कहेंगे शंकर पार्टी है , लेकिन ज्ञान किसका देते हैं ? बाप का देते हैं ना ! अपना ज्ञान तो नहीं देते । ज्ञान आत्मा का देते हैं ना !बस इतनी शुभ-भावना रखो , ज्ञान वो भी बाप का दे रहे हैं । चाहे कैसे भी घुमा के देवें फिराके देवे , पर ज्ञान तो बाप का ही दे रहे हैं ना । परिचय तो आत्मा का ही दे रहे हैं ना । इसलिए शुभ-भावना रखो । ये सोचो वो भी प्रत्यक्ष तो बाप को ही कर रहे हैं ना । ऐसे उन बच्चों के लिए वी ऐसे सोचो ठीक है । ज्यादा ज्ञान उनसे नहीं उठाओ । आत्मा का सोचो कि वो आत्मा परमात्मा का ज्ञान दे रहे हैं । वो भी तो बच्चे नहीं केहते कि परमात्मा कण कण में है, सर्वव्यापी है। बाप का ग्लानि तो नहीं करते ना ! अभी येही सोचो , विश्व एक परिवार है । अब इसमें आना है । मेरा ही एक परिवार है , मेरा ही एक सेंटर है ,नहीं । विश्व एक परिवार है ।


गुप्त रूप से बाप तो आ सकते हैं ना ! बाप तो आ सकते हैं । हां ! अब नहीं सोचो कि बाबा एक ही स्थान पे बैठेंगा ,और आओ... सभी आओ.... मिलो.... और जाओ । नहीं ! अगर बच्चे आएंगे तो बाप भी आएंगा । बच्चे मिलेंगे तो बाप भी मिलेंगा । अपना तैयारी करो , बाप पहुंच जाएंगा । याद हैं ना ! अभी देखो बाप ये काहेंगा - जिस स्थान पे बाप बैठे हैं , ये स्थान भक्ति मार्ग वालों में क्या केहते हैं ? कि राम जब वनवास गए थे तो , इसी एरिए को चुना था । है ना ! ये .. ये कोई शास्त्रों की बातें नहीं है । ये अभी की बातें हैं । जिस स्थान पे केहते हैं- वहां ऐसे हैं.... , डरते हैं.... वहां ऐसे हैं...। वही बच्चे बाप के मददगार बनेंगे , जिससे सारी दुनिया डरती है । वही बच्चे बाप के भी बनेंगे , और वही बच्चे बाप को प्रत्यक्ष करेंगे । डरना नही , अगर बाप की सेवा में समर्पण हुए हो , जीवन दिया है एक-एक स्वांस दी है, तो जब बाप साथ है तो पेहले डर खत्म करो । आगे बाप करेंगे और बाप ही सुनाएंगे । मधुबन में तो कब-कब कहते थे चलो बाबा समय पूरा हुआ, अभी चलो याद प्यार दो । अभी याद प्यार जब तक नहीं मिलेंगा, जब तक बाप नहीं कहेंगा । ठीक है ! अभी आप बच्चों का राज्य है ।


बाप के साथ है । बाप आ गया मिल गया ,और क्या चाहिए ? और कुछ चाहिए ? बस एरिए को..... । और उतना ज्ञान काफी है जो अपने बाप को, कैसे वी किसी वी रूप में पहचान सके । शरीर के साथ नहीं बाप की खुशबू ही काफी है कि मेरे बाप की खुशबू कैसी है ,जो चलते चलते वी एक ही झलक में , मैं अपने बाप को पहचान सकूं । ठीक है !
अच्छा ! टोली! टोली
सब बच्चों के लिए ।सभी बच्चे खुश रेहना क्योंकि, आपके साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी है । कोई वी कुछ भी कहे कितना वी डिस्टर्ब करें पर आप क्या कहेंगे ? मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा। वो डिस्टर्ब क्यों कर रहे हैं ,क्योंकि वो बाप से मिले नहीं है। अगर आप डिस्टर्ब होंगे तो ये आपकी मूर्खता कहेंगे ,क्योंकि आप तो बाप से मिले हो ना ! तो आप क्या करेंगे डिस्टर्ब नहीं होंगे।
अच्छा।

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